एक बेलनाकार पात्र आंशिक रूप से जल से भरा हुआ है। इसे इसकी ऊध्र्वाधर केन्द्रीय अक्ष के परित: घुमाया जाता है। जल की सतह
समान रूप से उठेगी
किनारों पर उठ जायेगी
बीच में उठ जायेगी
समान रूप से गिरेगी
एक वस्तु नियत चाल से वृत्तीय पथ पर गति कर रही है, तो इसका
एक कार $r$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर रेखीय वेग $v$ से गति कर रही है। यदि इसकी चाल $a\,$मीटर/सैकण्ड$^2$ के त्वरण से बढ़ रही है, तो परिणामी त्वरण का मान होगा
एक गोलक को डोरी से क्षैतिज तल में इस प्रकार घुमाया जाता है कि इसकी प्रारम्भिक चाल $\omega \mathrm{rpm}$ है। डोरी में तनाव $T$ है। यदि त्रिज्या को समान रखकर चाल $2 \omega$ हो जाती हो तो डोरी में तनाव होगा:
एक छात्र एक रेम्प के ऊपर की ओर स्केटिंग करता है, जो क्षैतिज के साथ $30^{\circ}$ कोण बनाता है। वह $v _0$ चाल से रेम्प के आधार से प्रारम्भ (जैसा की चित्र में दिखाया गया है) होता/ होती है तथा $R$ त्रिज्या के एक अर्द्धवृत्तीय पथ $xyz$ के ऊपर घूमना चाहता/चाहती है जिसके दौरान वह धरातल से अधिकतम ऊँचाई $h$ (बिन्दु $y$ पर) पहुँचता/पहुँचती है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। माना कि ऊर्जा हानि नगण्य है तथा उच्चतम बिन्दु पर इस घुमाव के लिए आवश्यक बल केवल उसके भार द्वारा प्रदान किया जाता है। तब ( $g$ गुरूत्वीय त्वरण है)
$(A)$ $v_0^2-2 g h=\frac{1}{2} g R$
$(B)$ $v_0^2-2 g h=\frac{\sqrt{3}}{2} g R$
$(C)$ बिन्द $x$ तथा $z$ पर आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल शून्य है।
$(D)$ आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल बिन्दु $x$ तथा $z$ पर अधिकतम है।
एक वृत्ताकार पथ पर एकसमान चाल से गतिमान एक कण जारी रखता है :