कक्षीय कलिका के पाश्र्व में उत्पन्न होनी वाली पाश्र्विक कलिका (लेटरल कलिका) कहलाती है
अपस्थानिक कलिका
समपाश्र्विक कलिकाएँ
बाह्य कक्षीय कलिका
अध्यारोपित कलिका
$3/8 $ एकान्तर पर्णविन्यास में (जिसे ओस्टेस्टीकस कहते है)
वल्लरी $(Twiner)$ का शिर्ष $(Tip)$ संवेदनशील तथा स्वंय को सहारा देने के लिए सर्पिलाकार हो जाता है इस कुण्डल को कहते हैं
पिंग्वीकुला (बटरवर्ट) में, पत्तियाँ बड़ी तथा मांसल होती हैं और दो प्रकार की ग्रंथिया उत्पन्न करती हैं यह होती हैं
ब्रेसिका ओलीरेसिया में खाने योग्य पुष्पक्रम होता है
लीची $(Litchi)$ में खाने योग्य भाग होता है