एक कुचालक वलय जिसकी त्रिज्या $0.5\,m$ है तथा जिस पर आवेश $1.11 \times {10^{ - 10}}\,C$ है। आवेश वलय पर असमान रूप से वितरित है तथा इसके कारण विद्युत क्षेत्र $\vec E$ उत्पन होता है रैखिक समाकलन $\int_{l = \infty }^{l = 0} {\, - \overrightarrow E .\overrightarrow {dl} }$ का वोल्ट में मान है ($l=0$, वलय का केन्द्र)
$2$
$-1$
$-2$
$0$
त्रिज्या $R$ के एक वृत्त की परिधि पर $10$ आवेश ऐसे रखे गये हैं जिससे क्रमागत आवेशों के बीच कोणीय दूरी समान रहें। एकान्तर आवेशों $1,3,5,7,9$ के ऊपर क्रमशः $(+q)$ आवेश और $2 ,4,6,8,10$ के ऊपर क्रमशः $(-q)$ आवेश हैं। वृत्त के केन्द्र पर विभव $(V)$ और विधुत क्षेत्र $( E )$ होगी।
(अनन्त पर $V =0$ लीजिए)
पतले तार के दो छल्ले, जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या $R$ है, अपने अक्षों को संपाती रखते हुए एक दूसरे से $d$ दूरी पर स्थित हैं। इन दोनों छल्लों के आवेश $ + q$ तथा $ - q$ हैं। दोनों छल्लों के केन्द्रों के बीच विभवान्तर है
$125$ छोटी-छोटी पारे की बूँदों को मिलाकर एक बड़ी बूँद बनायी गयी है। इस पर विभव $2.5\, V$ है। प्रत्येक छोटी बूँद पर विभव .......$V$ होगा
दो आवेश $ + \,q$ और $ - \,q$ एक निश्चित दूरी पर हैं, उनके बीचों बीच स्थित बिन्दु पर
$q$ परिमाण के दो विपरीत आवेश एक दूसरे से $2d$ दूरी पर रखे हैं। उनके बीच मध्य बिन्दु पर विभव होगा