एक ' $R$ ' त्रिज्या वाले तार के एक छोटे वृत्ताकार पाश का भुजा $\mathrm{L}(\mathrm{L}>\mathrm{R})$ के तार के एक बड़े वर्गाकार पाश के अन्दर रखा गया है, इस व्यवस्था में अन्योन्य प्रेरकत्व ज्ञात कीजिए। दोनो पाश सह-तलीय तथा सकेन्द्रिय हैं।
$M =\frac{\sqrt{2} \mu_0 R ^2}{ L }$
$M =\frac{2 \sqrt{2} \mu_0 R }{ L ^2}$
$M =\frac{2 \sqrt{2} \mu_0 R ^2}{ L }$
$M =\frac{\sqrt{2} \mu_0 R }{ L ^2}$
यदि प्राथमिक कुण्डली में बहने वाली $3.0$ ऐम्पियर धारा को $0.001$ सैकण्ड में शून्य कर दिया जाये, तो द्वितीयक कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल $15000$ वोल्ट होता है। इन कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरण गुणांक.......हेनरी है
यदि प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित $30 \,A$ की धारा $0.1$ सैकण्ड में शून्य कर दी जाती है तब द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल $1.5$ वोल्ट है। कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान.......$H$ है
$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा
तार से बने त्रिज्या $a$ के छोटे वृत्ताकार वलय को त्रिज्या $b$ के एक बृहत् वृत्ताकार वलय के केन्द्र पर रखा गया है। दोनों वलय एक ही समतल में हैं। त्रिज्या $b$ के बाह्य वलय में एक प्रत्यावर्ती धारा $I=I_{0} \cos (\omega t)$ प्रवाहित की जाती है। त्रिज्या $a$ वाले आन्तरिक वलय में प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा
${L_1}$ और ${L_2}$ स्वप्रेरकत्व वाली दो कुण्डलियों को एक दूसरे के निकट रखा जाता है कि सम्पूर्ण फ्लक्स एक दूसरे के साथ सम्बन्धित रहते हैं, यदि अन्योन्य प्रेरकत्व गुणांक $M$ है तो $M$...