माना कि किसी कण, जिसका स्थित सदिश $ \overrightarrow {r\,} $ है, पर लगने वाला बल $ \overrightarrow F $ है, एवं मूल बिन्दु के परित: इस बल का बल आघूर्ण $ \overrightarrow T $ है तो

  • A

    $ \overrightarrow {\,r} .\overrightarrow T = 0{\rm{ }} $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T = 0 $

  • B

    $ \overrightarrow r .\overrightarrow T = 0{\rm{ }} $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T \ne 0 $

  • C

    $ \overrightarrow {\,r} .\overrightarrow T \ne 0 $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T = 0 $

  • D

    $ \overrightarrow r .\overrightarrow T \ne 0{\rm{ }} $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T \ne 0 $

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$2$ किग्रा द्रव्यमान के $5$ कण $0.1$ मीटर त्रिज्या एवं नगण्य द्रव्यमान की एक वृत्तीय चकती की परिधि से जुड़े हैं। इसके तल के लम्बवत् एवं केन्द्र से होकर गुजरने वाली अक्ष के परित: इस निकाय का जड़त्व आघूर्ण ........... $\mathrm{kg-m}^{2}$ है

दो कण $X$ तथा $Y$, प्रारम्भ में विरामावस्था में हैं, परस्पर आकर्षण स्वरुप एक दूसरे की ओर गति करते हैं। यदि किसी क्षण $X$ कण का वेग $V$ तथा $Y$ कण का वेग $2\,V$ है, तब उनके द्रव्यमान केन्द्र का वेग होगा

एक पहिये पर लगने वाला नियत बल आघूर्ण इसके कोणीय संवेग को $4$ सैकण्ड में $A0$ से $4A_0$ कर देता है, तो बल आघूर्ण का परिमाण होगा

माना द्रव्यमानों ${m_1}$ तथा ${m_2}$ के दो कणों का एक निकाय है। यदि द्रव्यमान ${m_1}$ को निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की ओर $d$ दूरी तक धकेला जाता है, तो द्रव्यमान ${m_2}$ को कितनी दूरी तक विस्थापित करना पड़ेगा, जिससे कणों के निकाय का द्रव्यमान केन्द्र पूर्ववत रहे

दी गयी अक्ष के परित: किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण $ 1.2kg \times {m^2} $ है तथा प्रारम्भ में पिण्ड स्थिर है। $1500$ जूल की घूर्णी गतिज ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए $25$ रेडियन/सै$^2$ के त्वरण को पिण्ड पर ........ $(\sec)$ समय के लिए आरोपित करना होगा