Gujarati
10-1.Thermometry, Thermal Expansion and Calorimetry
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शीशे की एक गोली नियत वेग $v$ से चलकर लक्ष्य से टकराकर तुरन्त रूक जाती है और इसका संपूर्ण द्रव्यमान $m$ पिघल जाता है, इसकी विशिष्ट ऊष्मा $S$, प्रारम्भिक ताप $25°C,$ गलनांक $475°C$ और गुप्त ऊष्मा $L$ है, तो वेग $v$ की गणना के लिये सही व्यंजक है

A

$mL = mS\,(475 - 25) + \frac{1}{2} \cdot \frac{{m{v^2}}}{J}$

B

$mS(475 - 25) + mL = \frac{{m{v^2}}}{{2J}}$

C

$mS\,(475 - 25) + mL = \frac{{m{v^2}}}{J}$

D

$mS\,(475 - 25) - mL = \frac{{m{v^2}}}{{2J}}$

Solution

पहले गोली का ताप गलनांक बिन्दु तक बढ़ेगा फिर यह पिघलना प्रारम्भ कर देगी। सूत्र $W = JQ$से,

$\Rightarrow$ $\frac{1}{2}m{v^2} = J.[m.c.\Delta \theta  + mL] = J[m\,S\,(475 – 25) + mL]$

$\Rightarrow$ $mS(475 – 25) + mL = \frac{{m{v^2}}}{{2J}}$

Standard 11
Physics

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स्पष्ट कीजिए कि क्यों

$(a)$ अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अल्प उत्सर्जक होते हैं।

$(b)$ कंपकंपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।

$(c)$ कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्ठी में रखते हैं, तो वह ताप का सही मान मापता है।

$(d)$ बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।

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