$18°C$ ताप पर किसी द्विपरमाण्विक गैस को रुद्धोष्म रीति से संपीडित करके इसका आयतन प्रारम्भिक का $1/8 $ कर डिया जाता है। संपीडन के पश्चात् ताप होगा
${10^o}C$
${887^o}C$
$668K$
${144^o}C$
एक गैस, जिसका प्रारंभिक तापमान $T$ है, को आकस्मिक प्रसार के द्वारा आयतन $V$ से $2 V$ पर लाया जाता है. तब
द्विपरमाणुक गैस के $1$ मोल को $(\gamma = 1.4)$ रुद्धोष्म रूप से संपीड़ित किया जाता है, जिससे इसका ताप $27°C$ से बढ़कर $127°C$ हो जाता है तो सम्पन्न कार्य होगा
किसी निकाय द्वारा किया गया कार्य इसकी आन्तरिक ऊर्जा में कमी के बराबर है। निकाय के परिवर्तन का प्रकार है
रुद्धोष्म प्रक्रम हेतु असत्य कथन है
एक द्विपरमाणुक गैस $(\gamma=1.4)$ के किसी द्रव्यमान का दाब $2$ वायुमंडलीय दाब के बराबर है। इसको रूधोषम अवस्था में इतना संपीडित किया जाता है कि उसका ताप $27^{\circ} C$ से $927^{\circ} C$ हो जाता है। अंतिम अवस्था में गैस का दाब............. वायुमंडल है