$xy$ तल में गतिशील कण पर बल $\overrightarrow F = \, - \,K(y\hat i + x\hat j)$ (यहाँ $K $ एक धनात्मक नियतांक है) कार्य करता है। मूल बिन्दु से प्रारम्भ करके $x-$ अक्ष के अनुदिश $(a, 0)$ बिन्दु तक तत्पश्चात $y-$ अक्ष के समान्तर बिन्दु $(a, a)$ तक कण को विस्थापित करने में बल $F$ द्वारा किया गया कुल कार्य होगा
$ - 2K{a^2}$
$2K{a^2}$
$ - K{a^2}$
$K{a^2}$
एक $2 \,kg$ द्रव्यमान का पिण्ड, $1 \,m$ त्रिज्या के वृत्तीय चतुर्थांश के वक्रीय पथ पर (चित्रानुसार) फिसलता है। सभी पृष्ठ घर्षण रहित हैं। यदि पिण्ड विरामावस्था से चलना प्रारम्भ करे, तो पथ की तली पर इसकी चाल ........... $\mathrm{m} / \mathrm{s}$ है
${m_1}$ द्रव्यमान का एक पिण्ड $40$ मी/सै के एक समान वेग से एक ${m_2}$ द्रव्यमान वाले स्थिर पिण्ड से टकराता है। इसके पश्चात् दोनों पिण्ड एकसाथ $30$ मी/सै की अचर चाल से चलते हैंं। इनके द्रव्यमानों की निष्पत्ति $({m_1}/{m_2})$ होगी
$M_1$ द्रव्यमान की एक वस्तु विरामावस्था में रखी $M_2$ द्रव्यमान की एक अन्य वस्तु के साथ प्रत्यास्थ संघट्ट करती है तो अधिकतम ऊर्जा स्थानान्तरण होगा, जब
$M$ द्रव्यमान के एक रेत से भरे बोरे को रस्सी द्वारा लटकाया गया है। $m$ द्रव्यमान की एक गोली $v$ वेग से इससे टकराकर इसमें धँस जाती है। इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा में हानि होगी