एक समान्तर प्लेट संधारित्र को $50\, V$ के विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। इसे एक प्रतिरोध से निरावेशित किया जाता है।  $1$ सैकण्ड बाद, प्लेटों के मध्य विभवान्तर $40 \,V$ रह जाता है तो

  • A

    $1$ सैकण्ड बाद संचित ऊर्जा का अंश ${16}/{25}$ है

  • B

    $2$ सैकण्ड बाद प्लेटों के मध्य विभवान्तर $32\, V$ है

  • C

    $2$ सैकण्ड बाद प्लेटों के मध्य विभवान्तर $20 \,V$ है

  • D

    दोनों $(a)$ और $(b)$

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$2 \mathrm{~F}$ धारिता वाले एक समानान्तर पट्टिका संधारित्र को $\mathrm{V}$ विभव पर आवेशित किया जाता है। संधारित्र में संचित ऊर्जा का मान $\mathrm{E}_1$ है। अब इस संधारित्र को किसी दूसरे समरुप अनावेशित संधारित्र के साथ समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। संयोजन में संचित ऊर्जा का मान $\mathrm{E}_2$ है। अनुपात $\mathrm{E}_2 / \mathrm{E}_1$ है:

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चिकित्सा में उपयोगी डीफिब्रिलेटर (दिल की धड़कनों को सामान्य बनाने वाला उपकरण) में लगा $40$ $\mu F$  धारिता वाला संधारित्र $3000\,V$ तक आवेशित किया गया है। संधारित्र में संचित ऊर्जा $2\,ms$ अंतराल के स्पंदन (Pulse) द्वारा मरीज को दी जाती है। मरीज को दी गई शक्ति ......$kW$ होगी

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दो सर्वसम संधारित्रों की धारिता $C$ है। इनमें से एक को ${V_1}$ विभव तक तथा दूसरे को ${V_2}$ विभव तक आवेशित किया गया है। संधारित्रों के ऋण सिरों को एक साथ जोड़ दिया जाता है। जब धन सिरों को भी जोड़ देंगे तब निकाय की ऊर्जा में हानि होगी

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धारिता $C$ तथा $2 C$ के दो संधारित्रों को क्रमशः $V$ तथा $2 V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। तत्पश्चात इन दोनों को इस तरह समांतर क्रम में जोड़ते हैं कि एक का धनात्मक सिरा दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़ जाता है। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा होगी। ($CV^2$ में)

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एक संधारित्र को $200$ वोल्ट विभवान्तर द्वारा आवेशित किया जाता है, तथा यह $0.1 \, C$ आवेश रखता है। जब विसर्जित किया गया, उससे ऊर्जा ........$J$ मुक्त होगी