$4$ $\mu\,F$ धारिता वाले संधारित्र को $400\, V$ से आवेशित करके इसकी प्लेटों को एक प्रतिरोध द्वारा आपस में जोड़ देते हैं। प्रतिरोध में उत्पन्न ऊष्मा ........$J$ होगी
$0.16$
$0.32 $
$0.64$
$1.28 $
धातु के एक गोले से उत्पत्र विद्युत क्षेत्र में संचित ऊर्जा का मान $4.5 \;J$ है। यदि गोले में निहित आवेश $4 \mu C$ हो तो उसकी त्रिज्या का मान होगा : [दिया है : $\left.\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}=9 \times 10^{9}\; N - m ^{2} / C ^{2}\right]$
चित्र में दिखाये गये परिपथ में जब स्विच ' $S$ ' को ' $A$ ' से ' $B$ ' स्थिति में लाते है तो धारिता ' $C$ ' तथा कुल आवेश ' $Q$ ' के रूप में, परिपथ में क्षयित ऊर्जा का मान होगा।
किसी संधारित्र को एक बैटरी से आवेशित किया जाता है। फिर बैटरी को हटाकर, इस संधारित्र से, समान्तर क्रम में ठीक ऐसा ही एक अन्य अनावेशित संधारित्र जोड़ दिया जाता है। तो, इस प्रकार बने परिणामी निकाय की कुल स्थिर वैधूत ऊर्जा ( पहले संधारित्र की तुलना में) :
आरेख में दर्शाए अनुसार $2\, \mu F$ धारिता के किसी संघारित्र का आवेशन किया गया है । जब स्विच $S$ को सिथिति $2$ पर घुमाया जाता है, तो इसमें संचित ऊर्जा का प्रतिशत क्षय होगा :
$5 \, \mu F$ की धारिता वाले एक संधारित्र को $5 \, \mu C$ तक चार्ज किया जाता है। यदि थारिता को $2\, \mu F$ तक कम करने के लिए प्लेटों को अलग-अलग खींचा जाता है, तो किया गया कार्य होगा।