एक पतले गोलीय चालक कोश की त्रिज्या $R$ तथा इस पर आवेश $q$ है। अन्य आवेश $Q$ को कोश के केन्द्र पर रख दिया गया है। गोलीय कोश के केन्द्र से $\frac{R}{2}$ दूरी पर बिन्दु $P$ पर विद्युत विभव होगा
$\frac{{(q + Q)}}{{4\pi {\varepsilon _0}}}\frac{2}{R}$
$\frac{{2Q}}{{4\pi {\varepsilon _0}R}}$
$\frac{{2Q}}{{4\pi {\varepsilon _0}R}} - \frac{{2q}}{{4\pi {\varepsilon _0}R}}$
$\frac{{2Q}}{{4\pi {\varepsilon _0}R}} + \frac{q}{{4\pi {\varepsilon _0}R}}$
यदि आठ एकसमान आवेशित बूँदों से मिलाकर एक बड़ी बूँद बनायी जाये तो एक छोटी बूँद की तुलना में बड़ी बूँद का विभव होगा
तांबे के गोलीय उदासीन कण की त्रिज्या $10 \,nm \left(1 \,nm =10^{-9} \,m \right)$ है। एक समय पर एक इलेक्ट्रॉन दे कर धीरे-धीरे इस कण पर विभव आरोपित करके आवेशित करते है। कण पर कुल आवेश तथा आरोपित विभव के मध्य आरेख निम्न होगा।
$1000$ पानी की छोटी बूँदें जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या $r$ एवं आवेश $q$ है, एक साथ मिलकर एक गोलाकार बूँद बनाती हैं। बड़ी बूँद का विभव छोटी बूँद के विभव का है
एक $R$ त्रिज्या के खोखले चालक गोले के पृष्ठ पर $( + Q)$ आवेश वितरित है। गोले के अन्दर केन्द्र से $r = \frac{R}{3}$ दूरी पर विद्युत विभव होगा
मरकरी की $512$ सर्वसम बूंदों में से प्रत्येक को $2\, V$ के विभव तक आवेशित किया गया है। इन सभी बूंदों को मिलाकर एक बड़ी बूंद बनायी गयी है। इस बड़ी बूंद का विभव $.......\,V$ है।