नीचे दो कथन दिए गए हैं :
कथन$-I :$ विद्युत विभव का मान, किसी धातु के अन्दर एवं उसकी सतह पर नियत रहता है।
कथन$-II :$ किसी आवेशित धातु के बाहर, विद्युत क्षेत्र, धातु के तल के प्रत्येक बिन्दु पर, तल के लम्बवत् होता है।
उपरोक्त कथनों के आधार पर, नीचे दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें।
कथन$-I$ एवं कथन$-II$ दोनों सही हैं।
कथन$-I$ एवं कथन$-II$ दोनों गलत हैं।
कथन$-I$ सही हैं किन्तु कथन$-II$ गलत है।
कथन$-I$ गलत है किन्तु कथन$-II$ सही है।
यदि धातु के ठोस गोले को कुछ आवेश दिया जाता है तो, धातु के अन्दर विद्युत् क्षेत्र शून्य होता है। गॉस (Gauss) के नियम के तहत, आवेश गोले के सतह पर ही स्थित रहता हैं | अब यदि यह मान लें कि दो आवेशों के बीच का कूलाम्बिक बल (Coulomb's force) $1 / r^3$ के हिसाब से बदलता है, तब आवेशित धातु के गोले के अन्दर
एक खोखले गोलाकार आवेशित चालक के मध्य विभव है
चार धात्विक चालकों की निम्न आकृतियाँ हैं
$1.$ गोला $2.$ बेलन
$3.$ नाशपाती आकार $3.$ तड़ित चालक
यदि इन्हें एक कुचालक आधार पर रखकर आवेशित किया जाये तो किस पर लम्बे समय तक आवेश रहेगा
बिन्दु $P$ पर रखे बिन्दु आवेश के कारण उत्पन विद्युत क्षेत्र में एक खोखला गोलीय चालक चित्रानुसार रखा गया है। यदि ${V_A},{V_B},$ तथा ${V_C}$ क्रमश: बिन्दुओं $A,B$ व $C$ पर विभव हो तो
पृथ्वी का विद्युत विभव शून्य माना जाता है क्योंकि पृथ्वी एक