यदि पृथ्वी की त्रिज्या को नियत रखते हुये, घनत्व दोगुना कर दिया जाये तो गुरुत्वीय त्वरण हो ........ $m/{s^2}$ जायेगा $(g = 9.8$ मीटर/सैकण्ड ${^2})$
$19.6$
$9.8$
$4.9$
$2.45$
(a) $g \propto \rho $
माना दो एकसमान सरल लोलक घड़ियाँ हैं। घड़ी-1 पृथ्वी के तल पर है, एवं घड़ी $- 2$ किसी स्पेस स्टेशन (अंतरिक्ष केन्द्र) में पृथ्वी के तल से $h$ ऊँचाई पर रखी है। घड़ी-1 एवं घड़ी- $2,4\,s$ एवं $6\,s$ के आवर्तकालों पर क्रियान्वित हाती है तो $h$ का मान $……….\,km$ होगा –
(माना पृथ्वी की त्रिज्या $R _{ E }=6400\,km$ एवं पृथ्वी पर $g =10\,m / s ^2$ )
यदि पृथ्वी का द्रव्यमान तथा त्रिज्या दोनों $1\%$ घटा दिये जायें तब गुरुत्वीय त्वरण का मान
यदि पथ्वी के चक्रण के कोणीय वेग को इस प्रकार बढ़ाया जाए कि विषुवत वत्त पर रखी वस्तुएँ तैरना प्रारम्भ कर दें, तो दिन का अंतराल लगभग हो जायेगा। (मिनिट में) ( $g =10 \,ms ^{-2}$, पथ्वी की त्रिज्या, $R =6400$ $\times 10^{3}\, m , \pi=3.14$ लीजिए)
यदि पृथ्वी का गुरुत्व समाप्त हो जाये तो किसी वस्तु का
यदि पृथ्वी की त्रिज्या $2 \%$ सिकुड़ जाए जबकि इसका द्रव्यमान समान रहे, तो पृथ्वी के तल पर गुरूत्व के कारण त्वरण का मान लगभग :
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