दूरी $2a$ पर दो समान आवेश $q$ रखे हुए हैं और तीसरा आवेश $ - 2q$ उनके मध्यबिन्दु पर रखा हुआ है। इस निकाय की स्थितिज ऊर्जा होगी
$\frac{{{q^2}}}{{8\pi {\varepsilon _0}a}}$
$\frac{{6{q^2}}}{{8\pi {\varepsilon _0}a}}$
$ - \frac{{7{q^2}}}{{8\pi {\varepsilon _0}a}}$
$\frac{{9{q^2}}}{{8\pi {\varepsilon _0}a}}$
त्रिज्या $R$ के एक ठोस गोले पर आवेश $Q + q$ सम्पूर्ण आयतन पर एकसमान रूप से वितरित है। द्रव्यमान $m$ का एक अत्यतं बिन्दु समान छोटा टुकड़ा इस गोले की तली से अलग होकर गुरूत्वीय क्षेत्र के अंतर्गत ऊर्ध्वाधर नीचे गिरता है। इस टुकड़े पर आवेश $q$ है। यदि ऊर्ध्वाधर ऊँचाई $y$ से गिरने पर इस टुकड़े की चाल $v$ हो जाती है (चित्र देखिये) तो : (मान लें शेष भाग गोलीय हैं)
$100\, V$ विभवान्तर द्वारा विरामावस्था से त्वरित एक इलेक्ट्रॉन तथा $\alpha $-कण के संवेगों का अनुपात है
बिन्दु आवेश $q$ के एक विद्युत क्षेत्र में, कोई निश्चित आवेश बिन्दु $A$ से $B$, $C$, $D$ व $E$ पर ले जाया जाता है, तो किया गया कार्य
जब घन के प्रत्येक कोने पर समान आवेश $ - q$ स्थित है। यदि घन की प्रत्येक भुजा की लम्बाई $ b$ है तो इसके केन्द्र पर रखे $ + q$ आवेश की स्थितिज ऊर्जा होगी
छः आवेशों $+ q - q + q .- q$, $+ q$ एवं $- q$ को $d$ भुजा वाले एक षटभुज के कौनो पर चित्रानुसार लगाया गया है। अनन्त से आवेश $q _0$ को षटभुज के केन्द्र तक लाने में किया गया कार्य है :
( $\varepsilon_0$ - मुक्त आकाश का परावैद्युतांक)