$(a)$ चित्र में दर्शाए अनुसार एक लंबे, सीधे, तार तथा एक वर्गाकार लूप जिसकी एक भुजा की लंबाई $a$ है, के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
$(b)$ अब मान लीजिए कि सीधे तार में $50\, A$ की धारा प्रवाहित हो रही है तथा लूप एक स्थिर वेग $v=10\, m / s$ से दाईं ओर को गति कर रहा है। लूप में प्रेरित विध्यूत वाहक बल का परिकलन उस क्षण पर कीजिए जब $x=0.2 \,m$ हो। लूप के लिए $a=0.1 \,m$ लीजिए तथा यह मान लीजिए कि उसका प्रतिरोध बहुत अधिक है।
$(a)$ Take a small element dy in the loop at a distance y from the long straight wire (as shown in the given figure).
Magnetic flux associated with element $d y,$
$d \phi=B d A$
Where, $dA =$ Area of element $dy = a dy$
$B =$ Magnetic field at distance y $=\frac{\mu_{0} I}{2 \pi y}$
$I =$ Current in the wire $\mu_{0}=$ Permeability of free space $=4 \pi \times 10^{-7}$
$\therefore d \phi=\frac{\mu_{0} I a}{2 \pi} \frac{d y}{y}$
$\phi=\frac{\mu_{0} I_{a}}{2 \pi} \int \frac{d y}{y}$
y tends from $x$ to $a+x$
$\therefore \phi=\frac{\mu_{0} I a}{2 x} \int\limits_{x}^{a+x} \frac{d y}{y}$
$=\frac{\mu_{0} I_{a}}{2 \pi}\left[\log _{e} y\right]_{x}^{a+x}$
$=\frac{\mu_{0} I a}{2 \pi} \log _{e}\left(\frac{a+x}{x}\right)$
For mutual inductance $M ,$ the flux is given as
$\phi=M I$
$\therefore M I=\frac{\mu_{0} I a}{2 \pi} \log _{e}\left(\frac{a}{x}+1\right)$
$M=\frac{\mu_{0} a}{2 \pi} \log _{e}\left(\frac{a}{x}+1\right)$
$(b)$ $Emf$ induced in the loop,
$e=B$ 'av $=\left(\frac{\mu_{0} I}{2 \pi x}\right) a v$
Given, $I=50 \,A$
$x =0.2\, m$
$a =0.1 \,m$
$v =10 \,m / s$
$e=\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 50 \times 0.1 \times 10}{2 \pi \times 0.2}$
$e=5 \times 10^{-5}\, V$
दो कुण्डलियाँ $'P'$ तथा $' Q '$ कुछ दूरी पर रखी हैं। जब कुण्डली $'P'$ में $3 \,A$ की धारा प्रवाहित होती है तो कुण्डली $'Q'$ से $10^{-3}\, Wb$ का चुम्बकीय फ्लक्स गुजरता है। $'Q'$ में कोई धारा नहीं है। जब ' $P$ ' में कोई धारा नहीं है तथा $'Q'$ से $2\, A$ धारा प्रवाहित होती है, तो $'P'$ से गुजरने वाला फ्लक्स होगा।
$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा
यदि प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित $30 \,A$ की धारा $0.1$ सैकण्ड में शून्य कर दी जाती है तब द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल $1.5$ वोल्ट है। कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मान.......$H$ है
समान लम्बाई $l$ की दो लम्बी सम-अक्षीय परिनालिकाये हैं। आन्तरिक एवं बाह्य कुण्डलियों की त्रिज्यायें क्रमशः
$r _{1}$ तथा $r _{2}$ है और प्रति इकाई लम्बाई फेरों की संख्या क्रमश: $n _{1}$ तथा $n _{2}$ है। आन्तरिक कुण्डलों के अन्योन्य प्रेरकत्व तथा स्वप्रेकरत्व का अनुपात होगा।
प्रेरण कुण्डली किस सिद्धांत पर कार्य करती है