$n$ समरूप संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हुए हैं और $V$ विभव तक आवेशित हैं। अब इनको अलग करके श्रेणीक्रम में जोड़ें तो संयोजन की कुल ऊर्जा और विभवान्तर होगा

  • A

    ऊर्जा उतनी ही रहेगी व विभवान्तर भी उतना ही रहेगा

  • B

    ऊर्जा उतनी ही रहेगी व विभवान्तर $nV$ हो जायेगा

  • C

    ऊर्जा $n$ गुनी बढ़ जायेगी व विभवान्तर $nV$ हो जायेगा

  • D

    ऊर्जा $n$ गुनी बढ़ जायेगी व विभवान्तर उतना ही रहेगा

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एक धारिता $C$ के संधारित्र को विभव $V _{0}$ से आवेशित करके एक दूसरे $\frac{C}{2}$ धारिता के अनावेशित संधारित्र से समांतर क्रम में जोड़ा जाता है। जब आवेश दोनों संधारित्रों में वितरित हो जाता है, तो इस प्रक्रम में क्षयित ऊर्जा का मान होगा। ($CV _{0}^{2}$ में)

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