एक कण की स्थिति $ \overrightarrow {r\,} = (\hat i + 2\hat j - \hat k) $ एवं संवेग $ \overrightarrow P = (3\hat i + 4\hat j - 2\hat k) $ द्वारा प्रदर्शित होते हैं। कोणीय संवेग लम्बवत् है
$X- $ अक्ष के
$Y-$ अक्ष के
$Z-$ अक्ष के
उस रेखा के, जो सभी अक्षों से समान कोण बनाती है
$m = 5$ इकाई द्रव्यमान का एक कण $XOY$ तल में $Y = X + 4$ रेखा की दिशा में एकसमान चाल $ v = 3\sqrt 2 $ इकाई से गति कर रहा है, तो मूल बिन्दु के परित: कोणीय संवेग का परिमाण ...... इकाई होगा
$m$ तथा $4 m$ द्रव्यमान वाली दो पतली वृताकार चत्रिकाएँ (discs), जिनकी त्रिज्यायें क्रमशः $a$ तथा $2 a$ हैं, के केन्द्रों को $l=\sqrt{24} a$ लम्बाई की द्रव्यमान-रहित द्रढ़ (rigid) डंडी से जोड़ा गया है। इस समूह को एक मजबूत समतल सतह पर लिटाया गया है और फिसलाये बिना इस तरह से घुमाया गया है कि इसकी कोणीय गति डंडी के अक्ष के गिर्द $\omega$ है। पूरे समूह का बिन्दु ' $O$ ' के गिर्द कोणीय संवेग $\vec{L}$ है (चित्र देखियें)। निम्नलिखित में से कौनसा/कौनसे कथन सत्य है / हैं?
$(A)$ पूरे समूह का संहति-केंद्र $z$-अक्ष के गिर्द कोणीय वेग $\omega / 5$ से घूम रहा है
$(B)$ पूरे समूह के संहति-केंद्र का बिन्दु $O$ के गिर्द कोणीय संवेग का परिमाण $81 ma ^2 \omega$ है
$(C)$ पूरे समूह का उसके संहति-केंद्र के गिर्द कोणीय संवेग का परिमाण $17 ma ^2 \omega / 2$ है
$(D)$ $\vec{L}$ के $z$-घटक का परिमाण $55 m a^2 \omega$ है
यदि बल आघूर्ण का मान शून्य हो, तब
अनुसार निर्भर करता है जहाँ $k=1 kgs ^{-2}$ है। समय $t=0$ पर कण की स्थिति $\vec{r}=\left(\frac{1}{\sqrt{2}} \hat{i}+\sqrt{2} \hat{j}\right) m$ व इसका वेग $\vec{v}=\left(-\sqrt{2} \hat{i}+\sqrt{2} \hat{j}+\frac{2}{\pi} \hat{k}\right) m s^{-1}$ है। माना $v_x$ तथा $v_y$ क्रमशः कण के वेग के $x$ तथा $y$ घटक हैं। गुरूत्व को नगण्य मानें। $z=0.5 m$ पर $\left(x v_y-y v_x\right)$ का मान $m^2 s^{-1}$ में होगा।
द्रव्यमान $m =2$ के एक कण की स्थिति, समय $( t )$ के अनुसार $\overrightarrow{ r }( t )=2 t \hat{ i }-3 t ^{2} \hat{ j }$ है। इस कण का मूलबिन्दु के सापेक्ष $t =2$ पर कोणीय संवेग होगा।