$C = 10\,\mu \,F$ धारिता वाले संधारित्र को $40\,\mu \,C$ का आवेश दिया गया है। इसमें संचित ऊर्जा है (अर्ग में)

  • A

    $80 \times {10^{ - 6}}$

  • B

    $800$

  • C

    $80$

  • D

    $8000$

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$2 \mathrm{~F}$ धारिता वाले एक समानान्तर पट्टिका संधारित्र को $\mathrm{V}$ विभव पर आवेशित किया जाता है। संधारित्र में संचित ऊर्जा का मान $\mathrm{E}_1$ है। अब इस संधारित्र को किसी दूसरे समरुप अनावेशित संधारित्र के साथ समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। संयोजन में संचित ऊर्जा का मान $\mathrm{E}_2$ है। अनुपात $\mathrm{E}_2 / \mathrm{E}_1$ है:

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एक संधारित्र का उपयोग $1200$ वोल्ट पर $24\, watt$ $×$ $hour$ ऊर्जा संचित करने के लिये किया जाता है। संधारित्र की धारिता होनी चाहिए

एक संधारित्र पर आवेश $Q$ विभव $V$ के साथ परिवर्तित होता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, जहाँ $Q$, $X$-अक्ष के अनुदिश एवं $V$, $Y$-अक्ष के अनुदिश है। त्रिभुज $OAB$ प्रदर्शित करता है

दो गोलीय चालकों को जिसकी प्रत्येक की धारिता $C$ है, विभव $V$ और $ - V$ तक आवेशित किया गया है तत्पश्चात् इन्हें एक बारीक तार से संबद्ध किया गया है। इससे ऊर्जा में ह्यस होगा

एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी

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