एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी

  • [AIPMT 2008]
  • [AIPMT 2011]
  • [AIPMT 2012]
  • A

    ${\varepsilon _0}EAd$

  • B

    $\;\frac{1}{2}{\varepsilon _0}\frac{{{E^2}}}{{Ad}}$

  • C

    $\;\frac{1}{2}\;{\varepsilon _0}{E^2}Ad$

  • D

    $\;{\varepsilon _0}\frac{{{E^2}}}{{Ad}}$

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एक $C$ धारिता वाले धारित्र का आवेश $Q$ और संचित ऊर्जा $W$ है। यदि उसका आवेश बढ़ाकर $2Q$ कर दिया जाये, तो संचित ऊर्जा होगी

एक समान्तर प्लेट संधारित्र को $50\, V$ के विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। इसे एक प्रतिरोध से निरावेशित किया जाता है।  $1$ सैकण्ड बाद, प्लेटों के मध्य विभवान्तर $40 \,V$ रह जाता है तो

संधारित्र के मध्य ऊर्जा रहती है

${R_1}$ एवं ${R_2}$ त्रिज्या के दो गोले, जिन पर आवेश क्रमश: ${Q_1}$ और ${Q_2}$ है, परस्पर संबंधित किये गये हैं, तब निकाय की ऊर्जा में

$50$ $\mu$F धारिता के एक संधारित्र का $10$ वोल्ट विभवान्तर तक आवेशित किया गया है, तो उसकी ऊर्जा होगी