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7.Alternating Current
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एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रभावकारी धारा i है और $L$ प्रेरकत्व की कुण्डली का प्रेरणीय प्रतिघात   ${X_L}$ है। कुण्डली को एक अतिचालक पदार्थ से बनाया गया है और उसका प्रतिरोध शून्य है। कुण्डली में शक्ति के क्षय की दर होगी

A

$0$

B

$I{X_L}$

C

${I^2}{X_L}$

D

$IX_L^2$

Solution

शुद्ध $L$-परिपथ में $P = 0$

Standard 12
Physics

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चित्र में दर्शाए गये परिपथ में समय $t=0$ पर बिन्दु $A$ को स्विच द्वारा बिन्दु $B$ से जोड़ा जाता है। इससे परिपथ में एक प्रत्यावर्ती धारा $I ( t )= I _0 \cos (\omega t )$ चित्र में दिखाई गई दिशा में बने लगती है, जहाँ $I _0=1 A$ तथा $\omega=500 \ rad s ^{-1}$ । समय $t =\frac{7 \pi}{6 \omega}$ पर स्विच को बिन्दु $B$ से हटाकर बिन्दु $D$ से जोड़ा जाता है। इसके पश्चात् सिर्फ $A$ तथा $D$ जुड़े हुए है। संधारित्र को पूरी तरह आवेशित करने के लिए बैटरी से कुल आवेश $Q$ प्रवाहित होता है। यदि $C =20 \mu, R =10 \Omega$ तथा बैटरी $50 V$ विधुत वाहक बल वाली आदर्श बैटरी हो तब सही विकल्प/विकल्पों को चुनिए।

$(A)$ संधारित्र पर समय $t=\frac{7 \pi}{6 \omega}$ से पहले अधिकतम आवेश का परिमाण $1 \times 10^{-3} C$ है।

$(B)$ बाँए परिपथ में समय $t=\frac{7 \pi}{6 \omega}$ से ठीक पहले विद्युत धारा दक्षिणावर्ती (clockwise) है।

$(C)$ बिन्दु $A$ को बिन्दु $D$ से जोड़ने के तुरन्त पश्चात् प्रतिरोध $R$ में विधुत धारा का मान $10\ A$ है।

$(D)$ $Q =2 \times 10^{-3} C$.

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(IIT-2014)

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