एक कण किसी दी गई त्रिज्या $R$ के वृत्तीय पथ पर नियत कोणीय वेग से गति करता है तथा इस पर अभिकेन्द्रीय बल $F$ क्रियाशील रहता है। यदि कोणीय वेग को दोगुना कर दिया जाये और त्रिज्या वही रहे, तो नया बल होगा

  • A

    $2F$

  • B

    ${F^2}$

  • C

    $4F$

  • D

    $F/2$

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एक कण किसी दी गई त्रिज्या $R$ के वृत्तीय पथ पर नियत कोणीय वेग से गति करता है तथा इस पर अभिकेन्द्रीय बल $F$ क्रियाशील रहता है।  यदि कोणीय वेग वही रहे किन्तु त्रिज्या आधी कर दें, तो नया बल होगा

एक कार $R$ त्रिज्या के एकसमान वृतीय पथ पर एकसमान चाल $v$ से गति करते हुए $T$ सेकंड में एक पूरा चक्कर लगाती है। इस दीरान अभिकेन्द्रीय त्वरण का मान $a_c$ है। यदि यह कार एक बड़े वृतीय पथ, जिसकी त्रिज्या $2 R$ है, पर एकसमान चाल से चलती हुए अभिकेन्द्रीय त्वरण $8 a_{ e }$ महसूस करती है, तो इसका आवर्तकाल होगा

  • [KVPY 2016]

एक कण $P$ घर्षण विहीन अर्द्धगोले में फिसल रहा है। $t = 0$पर यह बिन्दु $A$ से गुजरता है तथा इस समय इसके वेग का क्षैतिज घटक $v$ है। समान द्रव्यमान के अन्य कण $Q $ को $t = 0$ पर बिन्दु $A$ से क्षैतिज डोरी $AB $ के अनुदिश $v$ वेग से प्रक्षेपित किया जाता है (चित्रानुसार) $Q$ तथा डोरी के मध्य कोई घर्षण नहि यदि $P$ तथा $Q$ कणों को $B$ बिन्दु तक पहुँचने में लगे समय क्रमश:${t_P}$तथा ${t_Q}$हों तो

  • [IIT 1993]

एक धावक $10$ मीटर त्रिज्या वाले वृत्ताकार मार्ग का एक चक्कर $40$ सैकण्ड में पूरा करता है। उसके द्वारा $2$ मिनट $20$ सैकण्ड में तय की गई दूरी ........ $m$ है

जब  कोई कण एकसमान वृत्तीय गति करता है, तो उसमें होता है