एक सरल लोलक को एक ऐसे स्थान पर रखा गया है कि इसकी पृथ्वी तल से दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के समान है। यदि डोरी की लम्बाई $4$ मी. हो, तो सूक्ष्म दोलन का आवर्त काल से होगा। [दिया है, $\mathrm{g}=\pi^2 \mathrm{~ms}^{-2}$ ]

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एक पेण्डुलम घड़ी पृथ्वी तल पर सही समय दिखाती है इसे चन्द्र तल पर ले जाया जाता है तब यह चलेगी (दिया है $g$ चन्द्रतल $= g$ पृथ्वी$/6$ )

अपनी निम्नतम स्थिति पर एक लोलक के गुटके की चाल $3$ मी/सैकण्ड है। लोलक की लम्बाई $0.5$ मी है। जब यह लम्बाई ऊध्र्व से $60^\circ $ का कोण बनाती है तब गुटके की चाल .... मी/सैकण्ड होगी (यदि $g = 10$ मी/सैकण्ड$^{2}$)

सरल लोलक का आवर्तकाल दुगना हो जायेगा जबकि

यदि सरल लोलक की लम्बाई $300\% $ बढ़ा दी जाए तो आवर्तकाल  ..... $\%$ बढ़ जायेगा

किसी सरल लोलक के गोलक को माध्य स्थिति $O$ से विस्थापित करके $Q$ बिन्दु तक ले जाया जाता है। यह बिन्दु $O$ से $h$ ऊँचाई  पर है। यदि गोलक का द्रव्यमान $m$ तथा दोलनकाल $2.0$ सैकण्ड हो तब स्थिति $O$ से गुजरते समय डोरी में तनाव होगा