एक इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र में किसी वेग से विद्युत बल रेखाओं की दिशा में प्रवेश करता है तो
इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्तीय होगा
इलेक्ट्रॉन का पथ परवलयाकार होगा
इलेक्ट्रॉन का वेग घट जायेगा
इलेक्ट्रॉन का वेग बढ़ जायेगा
कोई इलेक्ट्रॉन विरामावस्था से किसी एकसमान तथा ऊपर को ऊर्ध्वाधर विघुत-क्षेत्र $E$ में कोई दी गई दूरी, $h$ गिरता है । अब विघुत-क्षेत्र का परिमाण अपरिवर्तित रखते हुए इसकी दिशा उत्क्रमित कर दी जाती है । किसी प्रोटॉन को विरामावस्था से इतनी ही ऊर्ध्वाधर दूरी $h$ तक इसमें गिरने दिया जाता है । प्रोटॉन के गिरने में लिए गए समय की तुलना में इलेक्ट्रॉन द्वारा गिरने में लिया गया समय है
एक इलेक्ट्रॉन जिसका द्रव्यमान ${m_e}$ है प्रारम्भ में विराम अवस्था में है। ${t_1}$ समय में इलेक्ट्रॉन किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र में निश्चित दूरी से चलता है। एक प्रोटॉन जिसका द्रव्यमान ${m_p}$ है, वह भी विराम अवस्था में है। प्रोटॉन भी इसी विद्युत क्षेत्र में उतनी ही दूरी चलने में ${t_2}$ समय लेता है। यदि गुरुत्वीय प्रभाव नगण्य माना जाये तो ${t_2}/{t_1}$ का लगभग मान होगा
चित्र में दर्शाये अनुसार, दो आवेशित समान्तर पट्टियों के बीच $10 \mathrm{~N} / \mathrm{C}$ का कोई एक समान विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है। पट्टियों के बीच के क्षेत्र में, एक इलेक्ट्रॉन $0.5\ \mathrm{eV}$ गतिज ऊर्जा के साथ प्रवेश करता है। प्रत्येक पट्टी की लम्बाई $10 \mathrm{~cm}$ है। इलेक्ट्रॉन जैसे ही क्षेत्र के बाहर आता है, तो इसके पथ में हुआ विचलन कोण $(\theta) . . .. { }^{\circ}$ (डिग्री) है।
मिलिकन के तेल बूँद प्रयोग में एक आवेशित बूँद सीमान्त वेग $v$ से गिरती है। यदि $E$ परिमाण का विद्युत क्षेत्र अग्र दिशा में आरोपित करने पर बूँद अग्र दिशा में $2v$ सीमान्त वेग से गति प्रारम्भ कर देती है, तो विद्युत क्षेत्र का मान घटाकर $\frac{E}{2}$ करने पर सीमान्त वेग का मान होगा
प्रारंभ में $x$ -अक्ष के अनुदिश $v_{x}$ चाल से गति करती हुई दो आवेशित प्लेटों के मध्य क्रेत्र में $m$ द्रब्यमान तथा $-q$ आवेश का एक कण प्रवेश करता है ( चित्र में कण $1$ के समान )। प्लेटों की लंबाई $L$ है। इन दोनों प्लेटों के बीच एकसमान विध्युत क्षेत्र $E$ बनाए रखा जाता है। दर्शाइए कि प्लेट के अतिम किनारे पर कण का ऊर्ध्वाधर विक्षेप $q E L^{2} /\left(2 m v_{x}^{2}\right)$ है।