$1 \times 10^{-4} Wbm ^{-2}$ के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में $0.1 keV$ ऊर्जा का एक इलेक्ट्रॉन चलता है। इलेक्ट्रॉन के परिक्रमण की आवृत्ति होगी: (माना इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान $=9.0 \times 10^{-31} kg$ )
$1.6 \times 10^5\,Hz$
$5.6 \times 10^5\,Hz$
$2.8 \times 10^6\,Hz$
$1.8 \times 10^6\,Hz$
एक कण किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में गति करता है तो
एक आयनित गैस में धनायन व ऋणायन दोनों उपस्थित हैं। यदि इस पर एकसाथ विद्युत क्षेत्र $+ x$ दिशा में व चुम्बकीय क्षेत्र $+ z$ दिशा में आरोपित किये जाये तब
$1\, MeV$ ऊर्जा वाला एक प्रोटॉन (द्रव्यमान $m$ व आवेश $+e$) चुम्बकीय क्षेत्र में वृत्ताकार मार्ग में घूम रहा है। एक $\alpha $-कण की ऊर्जा (द्रव्यमान $4m$ व आवेश = $+2e$) .........$MeV$ होनी चाहिये जिससे यह समान त्रिज्या के वृत्ताकार मार्ग में घूम सके
समान आवेश के दो कण $\mathrm{X}$ तथा $\mathrm{Y}$ एकसमान विभवान्तर द्वारा त्वरित किये गये जाते है। इसके बाद यह एक समान चुम्बकीय क्षेत्र परिसर में लम्बवत प्रवेश करते है तंथा क्रमशः $\mathrm{R}_1$ व $\mathrm{R}_2$ त्रिज्या के वृत्तीय पथ बनाते हैं। $\mathrm{X}$ तथा $\mathrm{Y}$ के द्रव्यमानों का अनुपात है:
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $B$ की विमा है