एक लोहे की छड़ $(5\,cm \times 1\,cm \times 1\,cm)$ के प्रत्येक परमाणु का चुम्बकीय आघूर्ण $1.8 \times {10^{ - 23}}\,A{m^2}$ है। यदि लोहे का घनत्व $7.78 \times {10^3}\,k{g^{ - 3}}\,m$ एवं परमाणु भार $56$ है, एवं एवोगेड्रो संख्या $6.02 \times {10^{23}}$ है तब संतृप्त अवस्था में छड़ का चुम्बकीय आघूर्ण .....$A{m^2}$ होगा
$4.75$
$5.74$
$7.54$
$75.4$
एक दंड चुम्बक की लम्बाई $ 10 $ सेमी तथा ध्रुव प्राबल्य $10^{-3}$ वेबर है। उसे एक चुम्बकीय क्षेत्र जिसका कि चुम्बकीय प्रेरण $(B) $ $4\pi \times {10^{ - 3}}$ टेसला है की दिशा में $30°$ का कोण बनाते हुए रखा जाता है । चुम्बक पर लगने वाले बल आघूर्ण का मान होगा
एक लघु छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $1.2 \,A-m^2$ है। इसके अक्ष पर $0.1\, m$ दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र है ($\mu_0 = 4\pi \times 10^{-7}\, T-m/A$)
नीचे दिए गए चित्रों में से कई में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ गलत दर्शायी गई हैं [ चित्रो में मोटी रेखाएँ]। पहचानिए कि उनमें गलती क्या है? इनमें से कुछ में वैध्यूत क्षेत्र रेखाएँ ठीक-ठीक दर्शायी गई हैं। बताइए, वे कौन से चित्र हैं?
चित्र में दिखाये अनुसार दो समान दंडचुंबक एक दूसरे से कुछ दूरी पर परस्पर लम्बवत रखे हुए हैं। चुम्बकों के चारों ओर का क्षेत्र चार भागों में विभाजित है। यदि कोई उदासीन बिन्दु (neutral point) है, तो वह स्थित है
अक्षीय बिन्दु पर एक लघु चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता होती है