अलग-अलग अर्धव्यासों के दो गोलों को समान आवेश दिया जाता है। विभव
छोटे गोले पर अधिक होगा
बड़े गोले पर अधिक होगा
दोनों गोलों पर समान होगा
गोलों के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करेंगे
आवेश $Q$ वाले एक ठोस चालकीय गोले को एक अनावेशित चालकीय खोखले गोलीय कवच से घेरा गया है। ठोस गोले के पृष्ठ और खोखले कवच के बाह्म पृष्ठ के बीच विभवान्तर $V$ है। यदि कवच को अब एक आवेश $-4 Q$ दिया जाता है, तब उन्ही दोनों पृष्ठों के बीच नया विभवान्तर ........$V$ होगा।
बिन्दु आवेश $100\,\mu C$ के कारण इससे $9$ मीटर की दूरी पर विद्युत विभव होगा
एक कुचालक वलय जिसकी त्रिज्या $0.5\,m$ है तथा जिस पर आवेश $1.11 \times {10^{ - 10}}\,C$ है। आवेश वलय पर असमान रूप से वितरित है तथा इसके कारण विद्युत क्षेत्र $\vec E$ उत्पन होता है रैखिक समाकलन $\int_{l = \infty }^{l = 0} {\, - \overrightarrow E .\overrightarrow {dl} }$ का वोल्ट में मान है ($l=0$, वलय का केन्द्र)
दो बड़ी ऊर्ध्वाधर (vertocal) व संमातर धातु प्लेटों के बीच $1 \ cm$ की दूरी है। वे $X$ विभंवातर के $D C$ स्त्रोत से जुड़ी हैं। दोनों प्लेंटो के मध्य एक प्रोटॉन को स्थिर- अवस्था में छोड़ा जाता है। छोड़े जाने के तुरंत बाद प्रोटॉन ऊर्ध्व से $45^{\circ}$ कोण बनाता हुआ गति करता है। तब $X$ का मान लगभग है :
समान साइज की $27$ बूंदे प्रत्येक $220$ वोल्ट पर आवेशित होती है। वे मिलकर एक बड़ी बूंद बनाती है। बड़ी बूंद के विभव की गणना कीजिए। (वोल्ट में)