${\rm{S}}\,{\rm{I}}$ पद्धति में हेनरी मात्रक है
स्वप्रेरकत्व का
अन्योन्य प्रेरकत्व का
(a) व (b) दोनों का
उपरोक्त में से कोई नहीं
एक प्रेरण कुण्डली का अन्योन्य प्रेरकत्व $5\,H$ है। यदि प्राथमिक कुण्डली में ${10^{ - 3}}\,s$ में धारा $5\,A$ से घटकर शून्य हो जाती है। द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान .......$V$ होगा
दो कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व $1.25$ हेनरी है। यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा $80$ ऐम्पियर/सैकण्ड की दर से परिवर्तित होती है, तो द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल ...... वोल्ट होगा
चित्र में दर्शाये अनुसार $R$ त्रिज्या का एक वत्ताकार तार लूप (पाश) $x-y$ तल में रखा है और इसका केन्द्र $O$ पर है। इस वत्ताकार लूप के अक्ष पर भुजा $a ( a \ll R )$ की दो फेरों वाली वर्ग-कुंडली रखी है जिसका केन्द्र $z =\sqrt{3 R }$ पर है (चित्र देखिये)। कुण्डली का तल $z$-अक्ष से $45^{\circ}$ कोण पर है। यदि लूप और कुंडली का अन्योन्य प्रेरकत्व $\frac{\mu_0 a ^2}{2^{ p / 2} R }$ है, तब $p$ का मान क्या है ?
तार से बने त्रिज्या $a$ के छोटे वृत्ताकार वलय को त्रिज्या $b$ के एक बृहत् वृत्ताकार वलय के केन्द्र पर रखा गया है। दोनों वलय एक ही समतल में हैं। त्रिज्या $b$ के बाह्य वलय में एक प्रत्यावर्ती धारा $I=I_{0} \cos (\omega t)$ प्रवाहित की जाती है। त्रिज्या $a$ वाले आन्तरिक वलय में प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा
दो परिपथों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व $0.1\, H$ है। जब एक परिपथ में धारा $0.02$ सैकण्ड में $0$ से $20\, A$ हो जाती है तो दूसरे परिपथ में उत्पन्न औसत विद्युत वाहक बल ......$V$ होगा