माना कि किसी कण, जिसका स्थित सदिश $ \overrightarrow {r\,} $ है, पर लगने वाला बल $ \overrightarrow F $ है, एवं मूल बिन्दु के परित: इस बल का बल आघूर्ण $ \overrightarrow T $ है तो

  • A

    $ \overrightarrow {\,r} .\overrightarrow T = 0{\rm{ }} $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T = 0 $

  • B

    $ \overrightarrow r .\overrightarrow T = 0{\rm{ }} $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T \ne 0 $

  • C

    $ \overrightarrow {\,r} .\overrightarrow T \ne 0 $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T = 0 $

  • D

    $ \overrightarrow r .\overrightarrow T \ne 0{\rm{ }} $ तथा $ \overrightarrow F .\overrightarrow T \ne 0 $

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$ m $ द्रव्यमान का एक कण $ PC $ रेखा के अनुदिश (चित्रानुसार) $ v $ वेग से गति करता है। बिन्दु $ O $ के परित: कण का कोणीय संवेग है

माना द्रव्यमानों ${m_1}$ तथा ${m_2}$ के दो कणों का एक निकाय है। यदि द्रव्यमान ${m_1}$ को निकाय के द्रव्यमान केन्द्र की ओर $d$ दूरी तक धकेला जाता है, तो द्रव्यमान ${m_2}$ को कितनी दूरी तक विस्थापित करना पड़ेगा, जिससे कणों के निकाय का द्रव्यमान केन्द्र पूर्ववत रहे

$ M $ द्रव्यमान एवं $ R $ त्रिज्या का एक ठोस गोला $ L $ लम्बाई तथा $ h $ ऊँचाई के नत सतमल पर बिना फिसले नीचे की ओर लुढ़क रहा है। तली पर पहुंचने पर इसके द्रव्यमान केन्द्र का वेग होगा

$2$ किग्रा द्रव्यमान के $5$ कण $0.1$ मीटर त्रिज्या एवं नगण्य द्रव्यमान की एक वृत्तीय चकती की परिधि से जुड़े हैं। इसके तल के लम्बवत् एवं केन्द्र से होकर गुजरने वाली अक्ष के परित: इस निकाय का जड़त्व आघूर्ण ........... $\mathrm{kg-m}^{2}$ है

एक अर्द्धवृत्तीय वलय का उसके केन्द्र से होकर जाने वाले तथा उसके तल के लम्बवत् अक्ष के परित: जड़त्व आघूर्ण होगा