साइक्लोट्रॉन में धनायन की अधिकतम गतिज ऊर्जा है
$\frac{{{q^2}B{r_0}}}{{2m}}$
$\frac{{q{B^2}{r_o}}}{{2m}}$
$\frac{{{q^2}{B^2}r_0^2}}{{2m}}$
$\frac{{qB{r_0}}}{{2{m^2}}}$
एक इलेक्ट्रॉन ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करता है जहाँ विद्युत क्षेत्र $(B)$ तथा चुम्बकीय क्षेत्र $(E)$ एक-दूसरे के लम्बवत् है, तो
एक प्रोटॉन तथा एक एल्फा कण, किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र $B$ के प्रदेश में प्रवेश करते हैं। इनकी गति की दिशा क्षेत्र $B$ के लम्बवत् है। यदि दोनों कणों के लिए वृत्ताकार कक्षाओं की त्रिज्या आपस में बराबर है और प्रोटॉन द्वारा अर्जित की गई गतिज ऊर्जा $1\, MeV$ है तो एल्फा कण द्वारा अर्जित ऊर्जा ......$MeV$ होगी
$q$ आवेश का एक कण $p$ संवेग से गति करता हुआ एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण $d$ चौड़ाई के लिए $B$ है, जहाँ $d < \frac{p}{{Bq}}$ । यदि कण चुम्बकीय क्षेत्र को पार करते समय $\theta $ कोण से विचलित हो जाये तब
समान गतिज ऊर्जा वाले दो आवेशित कण, किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र से गुजरने के लिए स्वतंत्र हैं, जो कि उनकी गति की दिशा के लम्बवत् है। यदि उनके वृत्ताकार पथों की त्रिज्याओं का अनुपात $6: 5$ है, एवं उनके क्रमशः द्रव्यमानों का अनुपात $9: 4$ है, तो उनके आवेशों का अनुपात होगा :
एक प्रोटॉन, एक ड्यूटॉन तथा एक $\alpha - $ कण समान विभवान्तर से त्वरित होकर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करते हैं। इनकी गतिज ऊर्जाओं का अनुपात है