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आर्थोबोरिक अम्ल के लिए सही कथन है (हैं) :
$(A)$ यह स्वतः आयनन (ionization) के कारण दुर्बल अम्ल की तरह व्यवहार करता है।
$(B)$ इसके जलीय विलयन में एथिलीन ग्लाइकॉल डालने से अम्लीयता बढ़ती है।
$(C)$ हाइड्रोजन बन्ध के कारण यह त्रिविम (three dimensional) संरचना रखता है।
$(D)$ जल में यह दुर्बल विधुत-अपघट्य (electrolyte) है।
A
$(B,D)$
B
$(B,C)$
C
$(A,C)$
D
$(A,D)$
(IIT-2014)
Solution

$H _3 BO _3$ का स्वतः आयनन नहीं होता है।
समपक्ष-डाइऑल मिलाने पर, वे ऑर्थोबोरिक अम्ल के साथ संकुल स्पीशीज बनाते है अतः एथिलीन ग्लाईकॉल मिलाने पर अम्लीयता बढती है।
$Image$
यह $H$-बन्धन के कारण समतलीय परत में विन्यासीत रहता है।
अतः $H$-बन्धन के कारण $2$-विमिय संरचना रखता है।
यह जल में दुर्बल अम्ल की तरह व्यवहार करता है अतः यह जल में एक दुर्बल विद्युत अपघट्य है।
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