यदि $\varepsilon_{0}$ निर्वात (मुक्ताकाश) की विघुतशीलता हो तथा $E$ वैघुत क्षेत्र हो तो, $\frac{1}{2} \varepsilon_{0} E^{2}$ की विमा होगी

  • [AIPMT 2010]
  • [AIIMS 2014]
  • [IIT 2000]
  • A

    $M^1L^2T^{-2}$

  • B

    $M^1L^{-1}T^{-2}$

  • C

    $M^1L^2T^{-1}$

  • D

    $MLT^{-1}$

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दाब-प्रवणता की विमा किसके तुल्य है

किसी नलिका से बहने वाले द्रव के क्रांतिक वेग $v _{ c }$ की विमाओं को $\left[\eta^{ x } \rho^{ y } r ^{ x }\right]$ से निर्दिप्ट किया जाता है जहाँ $\eta, \rho$ तथा $r$ क्रमश: द्रव का श्यानता गुणांक, द्रव का घनत्व तथा नलिका की त्रिज्या है, तो $x , y$ तथा $z$ क्रमश: मान है

  • [AIPMT 2015]

एक विमारहित राशि को इलेक्ट्रॉनिक आवेश $e$, मुक्त आकाश की विद्युतशीलता (permittivity) $\varepsilon_0$, प्लांक स्थिरांक $h$ तथा प्रकाश की चाल $c$ से व्यक्त करते हैं। यदि इस विमारहित राशि को $e^\alpha \varepsilon_0^\beta h^\gamma c^\delta$ से निर्दिष्ट किया जाता है तथा $n$ एक अशून्य पूर्णांक है तो $(\alpha, \beta, \gamma, \delta)$ का मान होगा,

  • [IIT 2024]

यदि $a$ त्रिज्या का एक गोला $v$ चाल से $\eta$ श्यानता नियताकं के एक द्रव में चलता है, तो स्टोक के नियमानुसार (Stoke's Law) उस पर $F$ श्यानता बल लगता है, जिसे निम्न समीकरण से दिखाया गया है : $F=6 \pi \eta a v$ यदि यह द्रव एक बेलनाकार नली, जिसकी त्रिज्या $r$, लंबाई 1 , एवं दोनों सिरों पर दाबांतर $P$ है, के अंदर बह रहा है, तब जल का $t$ समय में बहा हुआ आयतन निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है:

$\stackrel{v}{t}=k\left(\frac{p}{l}\right)^a \eta^b r^c \text {, }$

जहाँ $k$ एक विमाहीन स्थिरांक है । $a, b$ एवं $c$ के सही मान निम्नलिखित हैं:

  • [KVPY 2015]

आवृत्ति की विमायें है