एक संधारित्र में संचित ऊर्जा का मान :
$QV$
$\frac{1}{2}QV$
$\frac{1}{2}C$
$\frac{1}{2}\frac{Q}{C}$
एक संधारित्र को $200$ वोल्ट विभवान्तर द्वारा आवेशित किया जाता है, तथा यह $0.1 \, C$ आवेश रखता है। जब विसर्जित किया गया, उससे ऊर्जा ........$J$ मुक्त होगी
श्रेणी क्रम में जुड़े (संयोजित ) $n_{1}$ संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $C_{1}$ है। इस संयोजन को $4\, V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। एक अन्य संयोजन में $n_{2}$ संधारित्रों को, जिनमें प्रत्येक की धारिता $C_{2}$ है, समान्तर (पाश्र्व) क्रम में जोड़कर, $V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। यदि इन दोनो संयोजनों में संचित ऊर्जा समान (बराबर) हो तो $C_{1},$ के पदों $C_{2}$ का मान होगा
बादल के एक टुकड़े का क्षेत्रफल $25 \times {10^6}\,{m^2}$ तथा विभव ${10^5}$ वोल्ट है। यदि बादल की ऊंचाई $0.75\,$ किमी है तो पृथ्वी व बादल के बीच विद्युत क्षेत्र के ऊर्जा का मान.......$J$ होगा
एक संधारित्र का उपयोग $1200$ वोल्ट पर $24\, watt$ $×$ $hour$ ऊर्जा संचित करने के लिये किया जाता है। संधारित्र की धारिता होनी चाहिए
एक धारिता $C$ के संधारित्र को विभव $V _{0}$ से आवेशित करके एक दूसरे $\frac{C}{2}$ धारिता के अनावेशित संधारित्र से समांतर क्रम में जोड़ा जाता है। जब आवेश दोनों संधारित्रों में वितरित हो जाता है, तो इस प्रक्रम में क्षयित ऊर्जा का मान होगा। ($CV _{0}^{2}$ में)