दो परिपथों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व $0.1\, H$ है। जब एक परिपथ में धारा $0.02$ सैकण्ड में $0$ से $20\, A$ हो जाती है तो दूसरे परिपथ में उत्पन्न औसत विद्युत वाहक बल ......$V$ होगा
$240$
$230 $
$100 $
$300$
रुद्ध-दोल धारामापी का संकेतक स्थिर विक्षेप देता है क्योंकि
$0.30$ मीटर लम्बी एक परिनालिका में फेरों की संख्या $2000$ है। इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.2 \times {10^{ - 3}}{m^2}$ है। इसके केन्द्रीय भाग पर एक कुण्डली के $300$ फेरे लगाये गये हैं। यदि $2A$ की प्रारम्भिक धारा को $0.25$ सैकण्ड में विपरीत कर दिया जाता है, तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल होगा
एक प्रेरण कुण्डली का अन्योन्य प्रेरकत्व $5\,H$ है। यदि प्राथमिक कुण्डली में ${10^{ - 3}}\,s$ में धारा $5\,A$ से घटकर शून्य हो जाती है। द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल का मान .......$V$ होगा
${R_1}$ व ${R_2}$ त्रिज्या के दो वृत्तीय चालक लूप, जिनके केन्द्र एक ही बिन्दु पर हैं, एक ही तल पर रखे हैं। यदि ${R_1} > > {R_2}$, तो उनके बीच अन्योन्य प्रेरकत्व $M$ अनुक्रमानुपाती होगा
दो वृत्ताकार कुण्डलियों के केन्द्र एक ही बिन्दु पर स्थित हैं। दोनों का अन्योन्य प्रेरकत्व $(Mutual inductance)$ तब अधिकतम होगा, जब दोनों के अक्ष परस्पर