धारिता $C$ और $C / 2$ के दो संधारित्रों को चित्र के अनुसार $V-$वोल्ट की बैट्री से जोड़ा गया है।
दोनों संधारित्रों को पूर्ण आवेशित करने में किया गया कार्य होगा-
$\frac{1}{4}\,C{V^2}$
$\;\frac{3}{4}\,C{V^2}$
$\;\frac{1}{2}\,C{V^2}$
$\;3\,C{V^2}$
धारिता $C$ तथा $2 C$ के दो संधारित्रों को क्रमशः $V$ तथा $2 V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। तत्पश्चात इन दोनों को इस तरह समांतर क्रम में जोड़ते हैं कि एक का धनात्मक सिरा दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़ जाता है। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा होगी। ($CV^2$ में)
$C = 10\,\mu \,F$ धारिता वाले संधारित्र को $40\,\mu \,C$ का आवेश दिया गया है। इसमें संचित ऊर्जा है (अर्ग में)
$6\,\mu F$ के संधारित्र को $10$ वोल्ट से $20$ वोल्ट के लिये आवेशित किया गया है, तो ऊर्जा वृद्धि होगी
एक संधारित्र की धारिता $2\,\mu \,F$ है एवं इसे $50\, V$ तक आवेशित किया गया है। इसमें संचित ऊर्जा है
एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी