दो धात्विक प्लेटें $A$ और $B$ एक दूसरे के समान्तर $1\ cm$ की दूरी पर स्थित हैं एवं प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $5 ×10^{-4}m^2$ है। प्लेट $B$ पर आवेश $33.7\ pC$ है। एकवर्णी प्रकाष पुंज, जिसके फोटॉन की ऊर्जा $5\ eV$ है, प्लेट $A$ पर $t = 0$ समय से गिरना प्रारम्भ करता है, एवं प्रति वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर प्रति सैकण्ड $10^{16}$ फोटॉन गिरते हैं। यह भी माना जाता है कि उत्सर्जित सभी प्रकाश इलेक्ट्रॉन प्लेट $B$ पर पहुँच जाते हैं एवं प्लेट $A$ का कार्यफलन $2\ eV$ नियत रहता है। प्रारम्भ से $10$ सैकण्ड पश्चात् प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र होगा
$2 ×10^3 N/C$
$10^3 N/C$
$5 ×10^3 N/C$
शून्य
$6 .0 \times 10^{14}\, Hz$ आवृत्ति का एकवर्णी प्रकाश किसी लेसर के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। उत्सर्जन क्षमता $2.0 \times 10^{-3} \,W$ है। $(a)$ प्रकाश किरण-पुंज में किसी फ़ोटॉन की ऊर्जा कितनी है? $(b)$ स्त्रोत के द्वारा औसत तौर पर प्रति सेकंड कितने फ़ोटॉन उत्सर्जित होते हैं?
प्रकाश विद्युत प्रभाव के कारण धातु पृष्ठ से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा
फोटॉन की ऊर्जा $E = hv$ एवं फोटॉन का संवेग $p = \frac{h}{\lambda }$ है, तो फोटॉन का वेग होगा
$1\; keV$ ऊर्जा वाले फोटॉन की तरंगदैध्र्य $1.24 \times {10^{ - 9}}\;m$ है तो $1\;MeV$ वाले फोटॉन की आवृत्ति होगी