$A$ तथा $B$ दो सुचालक गोलों की त्रिज्याएँ $a$ तथा $b(b > a)$ तथा वायु में ये संकेन्द्रीय रखे हैं। $B$ को $+Q$ कूलॉम आवेश से आवेशित करते हैं, तथा $A$ को भू-सम्पर्कित करते हैं तो इनकी प्रभावी धारिता है
$4\pi {\varepsilon _0}\frac{{ab}}{{b - a}}$
$4\pi {\varepsilon _0}\,(a + b)$
$4\pi {\varepsilon _0}b$
$4\pi {\varepsilon _0}\frac{{{b^2}}}{{b - a}}$
दो एकसमान धातु प्लेटों पर क्रमश: धन आवेश ${Q_1}$, ${Q_2}$, ${Q_3}$ व ${Q_4}$ दिये गये हैं। अब यदि इन प्लेटों को पास लाकर $C$ धारिता का समान्तर पट्टिका संधारित्र बनाया जाता है, तब प्लेटों के बीच विभवान्तर होगा
एक सूक्ष्म गोला जिस पर आवेश ‘$q$ ’ है, इसे दो समान्तर प्लेटों के मध्य $L$ लंबाई की डोरी से चित्रानुसार लटकाया गया है। पेण्डुलम का आवर्तकाल ${T_0}$ है। जब समान्तर प्लटों को आवेशित कर दिया जाये तो आवर्तकाल $T$ हो जाता है। $T/{T_0}$ अनुपात होगा
किसी चालक को दिया गया विभव, निर्भर करता है
चित्र में दिखायी ग स्थिति पर विचार करें। संधारित्र $A$ पर आवेश $q$ है, जबकि $B$ अनावेशित है। स्विच $S$ को दबाने (बन्द करने) के लम्बे समायान्तराल के बाद संधारित्र $B$ पर आवेश है
$1$ मीटर त्रिज्या वाले एक गोलीय चालक की धारिता है (फैरड में)