बल आघूर्ण आरोपित किये बिना एक पिण्ड का कोणीय वेग $ {\omega _1} $ से $ {\omega _2} $ हो जाता है, परन्तु यह परिवर्तन जड़त्व आघूर्ण में परिवर्तन होने के कारण होता है। दोनों स्थितियों में घूर्णन त्रिज्याओं का अनुपात होगा
$ \sqrt {{\omega _2}} \,:\,\sqrt {{\omega _1}} $
$ \sqrt {{\omega _1}} \,:\,\sqrt {{\omega _2}} $
$ {\omega _1}\,:\,{\omega _2} $
$ {\omega _2}:{\omega _1} $
एक $\mathrm{m}$ द्रव्यमान का कण क्षैतिज से $30^{\circ}$ के कोण पर ' $u$ ' वेग से प्रक्षेपित किया जाता है। जब कण अपनी अधिकतम ऊँचाई पर $h$ पर हो तो प्रक्षेपण बिन्दु के परित: प्रक्षेप्य का कोणीय संवेग का परिमाण है :
एक छोटा पिंड $m$ एक द्रव्यमान-रहित धागे से जुड़ा है। धागे का दूसरा सिरा $P$ पर बंधित हैं (चित्र देखिये।) पिंड $x-y$ तल में एकसमान कोणीय चाल $\omega$ से वत्तीय गति कर रहा है। वत्त का केन्द्र $O$ पर है। यदि $O$ और $P$ बिन्दूओं के सापेक्ष निकाले गये इस निकाय के कोणीय संवेग क्रमश: $\overrightarrow{ L }_0$ और $\overrightarrow{ L }_{ p }$ है, तब
$m = 5$ इकाई द्रव्यमान का एक कण $XOY$ तल में $Y = X + 4$ रेखा की दिशा में एकसमान चाल $ v = 3\sqrt 2 $ इकाई से गति कर रहा है, तो मूल बिन्दु के परित: कोणीय संवेग का परिमाण ...... इकाई होगा
द्रव्यमान $20\, g$ वाले एक कण को चित्रानुसार किसी वक्र के अनुदिश बिन्दु $A$ से प्रारम्भिक वेग $5 \, m / s$ से विरामावस्था से छोड़ा जाता है। बिन्दु $A$, बिन्दु $B$ से ऊँचाई $h$ पर है। कण घर्षणरहित सतह पर फिसलता है। जब कण बिन्दु $B$ पर पहुँचता है तो $O$ के सापेक्ष इसका संवेग $.........\,kg - m^2/s$ होगा।
(दिया है : $g =10 \,m / s ^{2}$ )