कणों के निकाय का कोणीय संवेग परिवर्तित होता है, यदि

  • A

    निकाय पर बल कार्य करता है

  • B

    निकाय पर बल आघूर्ण कार्य करता है

  • C

    वेग की दिशा परिवर्तित होती है

  • D

    उपरोक्त में से कोई नहीं

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एक कण की स्थिति $ \overrightarrow {r\,} = (\hat i + 2\hat j - \hat k) $ एवं संवेग $ \overrightarrow P = (3\hat i + 4\hat j - 2\hat k) $ द्वारा प्रदर्शित होते हैं। कोणीय संवेग लम्बवत् है

बल आघूर्ण आरोपित किये बिना एक पिण्ड का कोणीय वेग $ {\omega _1} $ से $ {\omega _2} $ हो जाता है, परन्तु यह परिवर्तन जड़त्व आघूर्ण में परिवर्तन होने के कारण होता है। दोनों स्थितियों में घूर्णन त्रिज्याओं का अनुपात होगा

$ m $ द्रव्यमान का एक कण $ PC $ रेखा के अनुदिश (चित्रानुसार) $ v $ वेग से गति करता है। बिन्दु $ O $ के परित: कण का कोणीय संवेग है

  • [AIEEE 2002]

कक्षीय गति में, कोणीय संवेग सदिश होगा

  • [AIIMS 2004]

$m$ द्रव्यमान का एक कण $x-y$ तल में नियत वेग $v$ से $X-$अक्ष के समान्तर चित्रानुसार गति कर रहा है किसी समय $t $ पर मूल बिन्दु के सापेक्ष इसका कोणीय संवेग होगा