एक व्यक्ति घूर्णी टेबल पर $ \omega $ कोणीय चाल से घूर्णन करता है। वह अपने फैले हुये हाथों में दो समान द्रव्यमान रखे है। बगैर हाथों को घुमाये वह केवल द्रव्यमान को नीचे गिरा देता है। उसका कोणीय वेग किस प्रकार परिवर्तित होगा
यह $ \omega $ से कम हेागा
यह $ \omega $ से अधिक होगा
यह $ \omega $ के बराबर ही रहेगा
$ \omega $ से कम, अधिक अथवा बराबर होना द्रव्यमानों की मात्राओं पर निर्भर करता है
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान $m$ एवं चाल $v$ है $d$ दूरी पर, समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइये कि इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परित: कोणीय संवेग लें।
द्रव्यमान $20\, g$ वाले एक कण को चित्रानुसार किसी वक्र के अनुदिश बिन्दु $A$ से प्रारम्भिक वेग $5 \, m / s$ से विरामावस्था से छोड़ा जाता है। बिन्दु $A$, बिन्दु $B$ से ऊँचाई $h$ पर है। कण घर्षणरहित सतह पर फिसलता है। जब कण बिन्दु $B$ पर पहुँचता है तो $O$ के सापेक्ष इसका संवेग $.........\,kg - m^2/s$ होगा।
(दिया है : $g =10 \,m / s ^{2}$ )
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान जड़त्व आघूर्ण $I$ तथा कोणीय वेग $ \omega \,\,rad/\sec $ हो तब उसके कोणीय संवेग $L$ का मान होगा
$10$ किग्रा द्रव्यमान तथा $0.4$ मीटर व्यास के एक छल्ले को उसके अक्ष के परित: घुमाया जाता है। यदि यह $2100$ चक्र/मिनट लगाता है, तो कोणीय संवेग ........... $kg- {m^2}/s $ होगा
चिकने फर्श पर नृत्य कर रही एक नर्तकी अपने हाथों को सिकोड़े हुए $ 20\,rad/sec $ के कोणीय वेग से ऊघ्र्वाधर अक्ष के परित: घूर्णन कर रही है। जब वह अपने हाथों को फैला देती है तो घूर्णन चाल घटकर $ 10\,rad/sec $ हो जाती है। यदि नर्तकी का प्रारम्भिक जड़त्व आघूर्ण $I$ हो तो नया जड़त्व आघूर्ण होगा