$ 10 $ किग्रा द्रव्यमान एवं $ 0.5 $ मीटर त्रिज्या की एक वलय अपने व्यास के परित: $ 20 $ रेडियन/सै के वेग से घूर्णन कर रही है। इसकी गतिज ऊर्जा .......... $J$ है
$10$
$100$
$500$
$250$
जड़त्व आघूर्ण $I_t$ की एक वृताकार डिस्क अपनी सममिति अक्ष के परित:, एक स्थिर कोणीय वेग $\omega_{i}$ से क्षैतिज तल में घूर्णन कर रही है। इस डिस्क के ऊपर जड़त्व आघूर्ण $I _{ b }$ की एक अन्य डिस्क संकेन्द्री डाल दी जाती है। प्रारम्भ में दूसरी डिस्क की कोणीय चाल शून्य है। अन्तत: दोनों डिस्क एक ही स्थिर कोणीय वेग $\omega_{f}$ से घूर्णन करने लगती हैं। प्रारम्भ में घूर्णन करती हुई डिस्क की घर्षण के कारण नष्ट हुई उर्जा है
$ 10 $ किग्रा द्रव्यमान एवं $ 0.5 $ मीटर त्रिज्या की एक वस्तु बिना फिसले $ 2 $ मी/सै के वेग से लुढ़क रही है। इसकी कुल गतिज ऊर्जा $ 32.8 $ जूल है। वस्तु की घूर्णन त्रिज्या.......... $m$ है
$2\, m$ त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार $100\, kg$ है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल $20\, cm / s$ हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा ?
जड़त्व आघूर्ण $I _{1}$ तथा $\frac{ I _{1}}{2}$ की दो समअक्षीय डिस्क कोणीय वेग $\omega_{1}$ तथा $\frac{\omega_{1}}{2}$, क्रमश :, से अपनी उभयनिष्ठ अक्ष के परित: घूम रहीं है। जब दोनों डिस्क को सटा दिया जाता है तो वे बराबर कोणीय वेग से घूमते है। यदि $E _{ f }$ तथा $E _{ i }$ अंतिम एवं प्रारम्भिक कुल ऊर्जाएँ हों तो $\left( E _{ f }- E _{ i }\right)$ का मान होगा ।
एक समानरूपी लकड़ी के पतले तखते $A B$ की लम्बाई $L$ एवं द्रव्यमान $M$ है को एक मेज्र पर इस प्रकार रखा गया है कि इसका $B$ किनारा मेज के किनारे से थोडा बाहर निकला हुआ है।इस तख्ते के $B$ किनारे पर $J$ आवेग लगाया जाता है | इस आवेग के परिणाम स्वरुप तख्ता ऊपर उठता है और इसका द्रव्यमान केंद्र मेज्ञ के सतह से $h$ ऊंचाई तक चला जाता है | तब,