एक ठोस समांगी गोला, क्षैतिज घर्षण युक्त तल पर आंशिक रूप से फिसलता तथा आंशिक रूप से लुढ़कता है। गोले की इस प्रकार की गति हेतु
कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहेगी
गोले का तल के संपर्क बिन्दु के परित: कोणीय संवेग संरक्षित रहेगा
द्रव्यमान केन्द्र के परित: केवल घूर्णी गतिज ऊर्जा संरक्षित रहेगी
द्रव्यमान केन्द्र के परित: कोणीय संवेग संरक्षित रहेगा
एक पहिये पर लगने वाला नियत बल आघूर्ण इसके कोणीय संवेग को $4$ सैकण्ड में $A0$ से $4A_0$ कर देता है, तो बल आघूर्ण का परिमाण होगा
$M$ द्रव्यमान तथा $r$ त्रिज्या की एक पतली वृत्ताकार वलय नियत कोणीय वेग $ \omega $ से घूम रही है। वलय के व्यास के दोनों सिरों पर दो कण, प्रत्येक $m$ द्रव्यमान का, जोड़ दिये जाते हैं। वलय का कोणीय वेग अब होगा
दो कण $X$ तथा $Y$, प्रारम्भ में विरामावस्था में हैं, परस्पर आकर्षण स्वरुप एक दूसरे की ओर गति करते हैं। यदि किसी क्षण $X$ कण का वेग $V$ तथा $Y$ कण का वेग $2\,V$ है, तब उनके द्रव्यमान केन्द्र का वेग होगा
एक लम्बी एवं क्षैतिज छड़ पर एक मोती रखा है जो इसकी लम्बाई के अनुदिश फिसल सकता है, प्रारम्भ में यह मोती छड़ के एक सिरे $A$ से $L$ दूरी पर स्थित है। छड़ को एक समान कोणीय त्वरण $a$ से सिरे $A$ के परित: कोणीय गति प्रदान की जाती है। यदि छड़ एवं मोती के बीच घर्षण गुणांक $m$ है एवं गुरुत्व नगण्य है, तब कितने समय पश्चात् मोती फिसलने लगेगा
एक पतली वृत्ताकार प्लेट, जिसका द्रव्यमान $1\,kg$ तथा व्यास $0.2\,m$ है, का इसके किसी व्यास के परित: जड़त्व आघूर्ण होगा