तीव्रता $6.4 \times 10^{-5} \,W / cm ^{2}$ वाले विधुत-चुम्बकीय विकिरण के एक किरणपुंज में तरंगदैर्ध्य $\lambda=310 \,nm$ हैं। यह किरण पुंज एक धातु (कार्य फलन $\varphi=2\, eV$ ) की सतह पर लम्बवत् $1 \,cm ^{2}$ क्षेत्रफल पर पड रहा है। यदि सतह पर पडने वाले $10^{3}$ फोटॉनों में से केवल एक फोटॉन एक इलैक्ट्रॉन को निष्कासित करता हो और $1 \,s$ में निष्कासित इलेक्ट्रॉनों की संख्या $10^{x}$ हो, तो $x$ का मान है।
$\left( hc =1240 \, eVnm , 1 \,eV =1.6 \times 10^{-19} \,J \right)$
$5$
$8$
$11$
$13$
एक $100\, W$ सोडियम बल्ब (लैंप) सभी दिशाओं में एकसमान ऊर्जा विकिरित करता है। लैंप को एक ऐसे बड़े गोले के केंद्र पर रखा गया है जो इस पर आपतित सोडियम के संपूर्ण प्रकाश को अवशोषित करता है। सोडियम प्रकाश का तरंगदैर्घ्य $589\, nm$ है। $(a)$ सोडियम प्रकाश से जुड़े प्रति फ़ोटॉन की ऊर्जा कितनी है? $(b)$ गोले को किस दर से फ़ोटॉन प्रदान किए जा रहे हैं?
एक प्रकाश उत्सर्जक सेल में कार्यकारी तरंगदैर्ध्य $\lambda $ है एवं सबसे तेज इलेक्ट्रॉन का वेग $v$ है। यदि उत्तेजित तरंगदैर्ध्य बदलकर $\frac{{3\lambda }}{4}$ हो जाये तो सबसे तेज इलेक्ट्रॉन का वेग होगा
किसी इलेक्ट्रॉन और किसी प्रोटॉन को एक दूसरे से अत्यधिक दूरी द्वारा पथक किया गया है। यह इलेक्ट्रॉन $3\; eV$ ऊर्जा के साथ प्रोटॉन की ओर गमन करना आरम्भ करता है। प्रोटॉन इस इलेक्ट्रॉन का प्रग्रहण कर लेता है और द्वितीय उत्तेजक अवस्था का हाइड्रोजन परमाणु बना लेता है। परिणामी फोटॉन $4000 \;\mathring A$ देहली तरंगदैर्ध्य की किसी प्रकाश सुग्राही धातु पर आपतन करता है। उत्सर्जित फोटोइलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा क्या है ? ($eV$ मे)
एक त्वरित्र (accelerator) प्रयोग में पाजिट्रॉनों $(e^+)$ के साथ इलेक्ट्रॉनों के उच्च-ऊर्जा संघट्टन पर, एक विशिष्ट घटना की व्याख्या कुल ऊर्जा $10.2 \,BeV$ के इलेक्ट्रॉन-पाज़िट्रॉन युग्म के बराबर ऊर्जा की दो $\gamma$ -किरणों में विलोपन के रूप में की जाती है। प्रत्येक $\gamma$ -किरण से संबंधित तरंगदैर्ध्यो के मान क्या होंगे? $\left(1 BeV =10^{9} eV \right)$
एक पदार्थ का कार्यफलन $3.0 \mathrm{eV}$ है। इस पदार्थ से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आवश्यक अधिकतम तरंगदैर्ध्य लगभग है।