$m$ द्रव्यमान का एक गुटका, जो प्रारंभ में विरामावस्था में हैं, $h$ ऊँचाई से स्प्रिंग नियतांक $k$ वाली स्प्रिंग पर गिराया जाता है। यदि स्प्रिंग में अधिकतम संपीडन $x$ उत्पन होता है, तब
$mgh = \frac{1}{2}k{x^2}$
$mg(h + x) = \frac{1}{2}k{x^2}$
$mgh = \frac{1}{2}k{(x + h)^2}$
$mg(h + x) = \frac{1}{2}k{(x + h)^2}$
स्प्रिंग तुला के लिये भार तथा पाठ्यांक के बीच ग्राफ दर्शाया गया है। स्प्रिंग का बल नियतांक....... किग्रा/सेमी होगा
$0.1\,Kg$ द्रव्यमान की एक वस्तु $10\,m/s$ के वेग से $1000\,N/m$ बल नियतांक वाली स्प्रिंग (जिसका एक सिरा स्थिर है) से टकराती है तथा स्प्रिंग को संपीडित कर स्थिर हो जाती है। स्प्रिंग का संपीडन .......... $\mathrm{m}$ होगा
गतिशील न्यूट्रॉनों का मंदन : किसी नाभिकीय रिऐक्टर में तीव्रगामी न्यट्रॉन ( विशिष्ट रूप से वेग $10^{7} \,m s ^{-1}$ ) को $10^{3} \,m s ^{-1}$ के वेग तक मंदित कर दिया जाना चाहिए ताकि नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया में न्यूट्रॉन की यूरिनियम के समस्थानिक ${ }_{92}^{23} \,U$ से अन्योन्यक्रिया करने की प्रायिकता उच्च हो जाए। सिद्ध कीजिए कि न्यूटोंन एक हलके नाभिक, जैसे ड्यूटीरियम या कार्बन जिसका द्रव्यमान न्यूटॉन के द्रव्यमान का मात्र कुछ गुना है, से प्रत्यास्थ संघट करने में अपनी अधिकांश गतिज ऊर्जा की क्षति कर देता है। ऐसे पदार्थ प्राय: भारी जल $\left( D _{2} O \right)$ अथवा ग्रेफाइट, जो न्यूट्रॉनों की गति को मंद कर देते हें, 'मंदक' कहलाते हैं।
किसी स्प्रिंग को $‘S’$ दूरी तक खींचने पर स्थितिज ऊर्जा $10$ जूल है। इस स्प्रिंग को $‘S’$ दूरी तक और खींचने के लिए आवश्यक कार्य (जूल में) है
एक ऊर्ध्व स्प्रिंग मेज़ से खड़ा जोड़ा हुआ है। इसका बल नियतांक $k$ है। द्रव्यमान $m$ के एक गोले को स्प्रिंग के मुक्त सिरे के ठीक ऊपर से ऊँचाई $h$ से गिराने पर स्प्रिंग दूरी $d$ से पिचक जाता है। इस प्रक्रम में हुआ शुद्ध कार्य होगा