एक $2 \,kg$ द्रव्यमान का पिण्ड, $1 \,m$ त्रिज्या के वृत्तीय चतुर्थांश के वक्रीय पथ पर (चित्रानुसार) फिसलता है। सभी पृष्ठ घर्षण रहित हैं। यदि पिण्ड विरामावस्था से चलना प्रारम्भ करे, तो पथ की तली पर इसकी चाल ........... $\mathrm{m} / \mathrm{s}$ है
$4.43$
$2$
$0.5$
$19.6$
$R$ त्रिज्या के एक अर्द्धगोले की सतह से $m$ द्रव्यमान का एक पिण्ड अर्द्धगोले की दीवार से सटकर फिसलता है। अर्द्धगोले के निम्नतम बिन्दु पर पिण्ड का वेग होगा [
द्रव्यमान संख्या $A$ के परमाणु के स्थिर नाभिक से एक न्यूट्रॉन वेग $v$ तथा गतिज ऊर्जा $E$ के साथ प्रत्यास्थ प्रत्यक्ष $(Head-on)$ संघट्ट करता है। कुल ऊर्जा का वह भाग जो न्यूट्रॉन में बचा रहेगा
$xy$ तल में गतिशील कण पर बल $\overrightarrow F = \, - \,K(y\hat i + x\hat j)$ (यहाँ $K $ एक धनात्मक नियतांक है) कार्य करता है। मूल बिन्दु से प्रारम्भ करके $x-$ अक्ष के अनुदिश $(a, 0)$ बिन्दु तक तत्पश्चात $y-$ अक्ष के समान्तर बिन्दु $(a, a)$ तक कण को विस्थापित करने में बल $F$ द्वारा किया गया कुल कार्य होगा
यदि वस्तु का संवेग $0.01\%$ बढ़ा दिया जाये तो इसकी गतिज ऊर्जा बढ़ ........... $\%$ जायेगी
$M_1$ द्रव्यमान की एक वस्तु विरामावस्था में रखी $M_2$ द्रव्यमान की एक अन्य वस्तु के साथ प्रत्यास्थ संघट्ट करती है तो अधिकतम ऊर्जा स्थानान्तरण होगा, जब