एक $C$ धारिता वाले धारित्र का आवेश $Q$ और संचित ऊर्जा $W$ है। यदि उसका आवेश बढ़ाकर $2Q$ कर दिया जाये, तो संचित ऊर्जा होगी
$2W$
$W/2$
$4W$
$W/4$
समान्तर प्लेट संधारित्र पर आवेश $q$ है। यदि बल लगाकर प्लेटों के मध्य दूरी दुगनी कर दी जाये तो बल द्वारा किया गया कार्य होगा
$C = 10\,\mu \,F$ धारिता वाले संधारित्र को $40\,\mu \,C$ का आवेश दिया गया है। इसमें संचित ऊर्जा है (अर्ग में)
दिये गये परिपथ में एक संधारित्र में संचित आवेश $\ldots \mathrm{C}$ है।
एक समांतर पट्टीकीय संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $d$ और प्लेटों का अनुप्रस्थ परिच्छेदित क्षेत्रफल $A$ है। इसे आवेशित कर प्लेटों के बीच का अचर विधुतीय क्षेत्र $E$ बनाना है। इसे आवेशित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा होगी
$C$ धारिता वाले एक समान्तर प्लेट धारित्र को $V$ विभव की बैटरी से समान्तर क्रम में जोड़ा गया है, अब धारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी को एकाएक आधा कर दिया गया। यह मानकर कि दूरी घटाने पर संधारित्र में आवेश वही बना रहा, तो धारित्र को अन्तिम विभव $V$ पर दुबारा आवेशित करने के लिये बैटरी द्वारा दी गई ऊर्जा होगी