समान्तर प्लेट संधारित्रों के एक संयोजन को एक निश्चित विभवान्तर पर रखा गया है। (चित्र देखिये)
जब $3\; mm$ मोटे गुटके को सभी संधारित्रों की प्लेटों के बीच डाला जाता है, तो वही विभवान्तर बनाये रखने के लिए प्लेटों के बीच की दूरी को $2.4\; mm$ से बढ़ाना पड़ता है। गुटके का परावैद्युतांक होगा
$3$
$4$
$5$
$6$
एक संधारित्र को बैटरी द्वारा आवेशित करके बैटरी को विच्छेद कर देते हैं। संधारित्रों के पट्टिकाओंं के बीच डाइ-इलैक्ट्रिक (परावैद्युत) पट्ट सरकाते हैं, जिसके फलस्वरूप
चित्रानुसार एक समान्तर प्लेट चालक को दो परावैद्य़ुतांक पदार्थों से भर दिया जाता है। प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $A\, m^2$ है और उनके बीच की दूरी $t$ मीटर है। परावैद्युतांक क्रमश: ${k_1}$ तथा ${k_2}$ हैं फैरड में इसकी धारिता होगी
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की वोल्टेज श्रेणी (rating) $500\, V$ है। इसका परावैधुत पदार्थ अधिकतम $10^{6} \,V / m$ का विधुत क्षेत्र सहन कर सकता है। प्लेट का क्षेत्रफल $10^{-4} m ^{2}$ है। यदि संधारित्र की धारिता का मान $15 \,pF$ हो तो परावैधुतांक का मान होगा । (दिया है $\in_{0}=8.86 \times 10^{-12} \,C ^{2} / Nm ^{2}$ )
जब किसी संधारित्र की समान्तर पट्टिकाओं, जो बैटरी से जुड़ी हैं, के बीच एक परावैद्युत पदार्थ का स्लैब रखा जाता है, तो पट्टिकाओं के ऊपर आवेश पहले के आवेश की अपेक्षा
एक समान्तर प्लेट वायु संधारित्र की प्लेटों के मध्य की दूरी $3\,mm$ है। अब यदि $1\,mm$ मोटी एवं परावैद्युतांक $2$ वाली एक परावैद्युत पट्टी प्लेटों के बीच रख दी जाये तो धारिता बढ़ जाती है। इसकी धारिता के मान को पूर्ववत् रखने के लिये प्लेटों के बीच की दूरी..........$mm$ करनी होगी