एक समांतर पट्न संधारित्र परावैद्युतांक $10$ वाले माध्यम द्वारा भरा जाता है, इसको एक बैटरी से जोड़कर आवेशित किया जाता है। परावैद्युत पट्टिका को परावैद्युतांक $15$ वाले दूसरे पदार्थ द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है तो संधारित्र की ऊर्जा
$50 \%$ बढ़ जाती है।
$15 \%$ घट जाती है।
$25 \%$ बढ़ जाती है।
$33 \%$ बढ़ जाती है।
एक समान्तर प्लेट संधारित्र, जिसकी प्लेटों के बीच की दूरी $5 \mathrm{~mm}$ है, को एक बैटरी द्वारा आवेशित किया जाता है। यह पाया जाता है कि इसकी प्लेटों के बीच $2 \mathrm{~mm}$, मोटाई की एक परावैद्युत चादर रखने से इस पर पहले से $25 \%$ अधिक आवेश एकत्रित होता है जबकि बैटरी कनेक्शन लगा रहे, च्चादर पर परातैद्युतांक . . . . . . हैं।
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य वायु भरी है एवं धारिता $10\,p F$ है। प्लेटों के बीच की दूरी दुगुनी कर दी जाये एवं प्लेटों के मध्य मोम भर दी जाये तो संधारित्र की धारिता $40 \times {10^{ - 12}}$ फैरड हो जाती है। मोम का परावैद्युतांक होगा
एक वायु संधारित्र की धारिता $2.0$ $\mu F$ है, यदि एक माध्यम प्लेटों के बीच पूर्णत: भर दिया जाये तो धारिता $12$ $\mu F$ हो जाती है। माध्यम का परावैद्युतांक होगा
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्टिकाओं का क्षेत्रफल $S$ तथा पट्टिकाओं के वीच में दूरी $d$ है तथा इसकी वायु में धारिता $C _1$ है। जब पट्टिकाओं के मध्य दो अलग-अलग सापेक्ष परावैद्युतांकों $\left(\varepsilon_1=2\right.$ तथा $\left.\varepsilon_2=4\right)$ के पराविधुत पदार्थ दर्शाये चित्रानुसार रखे जाते है तब इस प्रकार बने नये संधातित्र की धारिता $C _2$ हो जाती है। तब अनुपात $\frac{ C _2}{ C _1}$ है।
$C$ एवं $3 C$ धारिताओं वाले दो समानान्तर पट्टिका संधारित्र पार्श्व क्रम में संयोजित हैं, एवं $18\,V$ के विभवान्तर तक आवेशित किए जाते हैं। फिर बैट्री हटा दी जाती है, एवं $C$ धारिता वाले संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच, $9$ परावैद्युत स्थिरांक वाला पदार्थ पूर्णतः भर दिया जाता है। दोनों संधारित्रों के बीच अंतिम विभवान्तर $..........V$ होगा।