एक समानान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता $C$ है। यदि संधारित्र की प्लेटों के मध्य की दूरी को दुगना करके कोई परावैद्युतांक माध्यम भर दिया जाता है। इस प्रकार प्राप्त संधारित्र की धारिता $2C$ है। माध्यम का परावैद्युतांक होगा
$2$
$1$
$4$
$8$
दो वृत्तीय प्लेटों, जिनके बीच की दूरी $5 \,mm$ हैं, से एक समान्तर पट्टिका संधारित्र बनाया गया है जिसके बीच परावैध्युत स्थिरांक $2.2$ का एक परवैध्युत रखा गया है। जब परवैध्युत में विध्युत क्षेत्र $3 \times 10^{4} \,V / m$ है, तब धनात्मक प्लेट का आवेश घनत्व लगभग होगा:
$200\, \mu F$ धारिता का एक समान्तर प्लेट संधारित्र $200$ वोल्ट बैटरी से जोड़ दिया जाता है। बैटरी को जुड़ी रखते हुए $2$ पैरावैघुतांक वाले पैरावैघुत गुटके को प्लेटों के बीच रख देते है। धारित्र में स्थिर वैधुत ऊर्जा का परिवर्तन $.......$ जूल होगा।
एक आवेशित वायु संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत पदार्थ भर दिया जाये, तो संधारित्र की ऊर्जा
दो एक समान आवेशित गोलों का समान लम्बाई की डोरियों से लटकाया गया है। डोरियाँ एक दूसरे से $37^{\circ}$ का कोण बनाती हैं। जब इन्हें $0.7$ ग्राम/सेमी. ${ }^3$, घनत्व के किसी द्रव में डुबाया जाता है, तो उनके बीच बना कोण वही रहता है। यदि गोले के पदार्थ का घनत्व $1.4$ग्राम/सेमी. ${ }^3$ हो, तो द्रव का परावैद्युतांक. . . . . . . . होगा। $\left(\tan 37^{\circ}=\frac{3}{4}\right)$.
एक गोलीय वायु संधारित्र का बाहरी गोला भू-संपर्कित है। उसकी विद्युत धारिता बढ़ाने के लिये