एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $2 \,mm$ है। इसे $300\, V$ की सप्लार्इ से जोड़ा गया है। ऊर्जा घनत्व होगा.......$J/m^3$
$0.01$
$0.1$
$1.0$
$10$
किसी पूर्णत: आवेशित संधारित्र की धारिता $‘C’$ है। इस संधारित्र का विसर्जन प्रतिरोधी तार की बनी किसी ऐसी छोटी कुण्डली से होकर किया जाता है, जो द्रव्यमान $‘m’$ तथा विशिष्ट ऊष्माधारिता $'s'$ के किसी ऊष्मारोधी गुटके में अंत: स्थापित है। यदि गुटके के ताप में वृद्धि ‘$\Delta T$’ है, तो संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर है
धारिता $C$ तथा $2 C$ के दो संधारित्रों को क्रमशः $V$ तथा $2 V$ विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। तत्पश्चात इन दोनों को इस तरह समांतर क्रम में जोड़ते हैं कि एक का धनात्मक सिरा दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़ जाता है। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा होगी। ($CV^2$ में)
$12\, pF$ का एक संधारित्र $50\, V$ की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिरवैध्यूत ऊर्जा संचित होगी?
एक आवेशित संधारित्र की प्लेटों की बीच की दूरी बढ़ाने पर, संचित ऊर्जा
यदि किसी स्थिर-विद्युत क्षेत्र में $E$ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता हो तो स्थिर विद्युत ऊर्जा घनत्व समानुपाती होगा