एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $2 \,mm$ है। इसे $300\, V$ की सप्लार्इ से जोड़ा गया है। ऊर्जा घनत्व होगा.......$J/m^3$
$0.01$
$0.1$
$1.0$
$10$
एक समान्तर प्लेट संधारित्र को $50\, V$ के विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। इसे एक प्रतिरोध से निरावेशित किया जाता है। $1$ सैकण्ड बाद, प्लेटों के मध्य विभवान्तर $40 \,V$ रह जाता है तो
एक समान्तर प्लेट संधारित्र $C$ धारिता की एक बैटरी से जुड़ा है और $V$ विभवान्तर से आवेशित है। अन्य $2C$ धारिता का संधारित्र, अन्य बैटरी से जुड़ा है और $2V$ विभवान्तर से आवेशित है। आवेशित करने वाली बैटरी को अब हटा दिया जाता है और संधारित्रों को अब समान्तर क्रम में इस प्रकार जोड़ दिया जाता है कि एक संधारित्र का धनात्मक सिरा, दूसरे के ऋणात्मक सिरे से जुड़े हों। इस विन्यास की अंतिम ऊर्जा है
आरेख में दर्शाए अनुसार $2\, \mu F$ धारिता के किसी संघारित्र का आवेशन किया गया है । जब स्विच $S$ को सिथिति $2$ पर घुमाया जाता है, तो इसमें संचित ऊर्जा का प्रतिशत क्षय होगा :
एक संधारित्र को $200$ वोल्ट विभवान्तर द्वारा आवेशित किया जाता है, तथा यह $0.1 \, C$ आवेश रखता है। जब विसर्जित किया गया, उससे ऊर्जा ........$J$ मुक्त होगी
किसी $100 \,W$ के बल्ब से उत्सर्जित विकिरणों द्वारा बल्ब से $3 \,m$ दूरी पर उत्पन्न विधुत क्षेत्र तीव्रता $E$ है। इतनी ही दूरी पर $60\, W$ के बल्ब से उत्सर्जित विकिरणों द्वारा उत्पन्न विधुत क्षेत्र तीव्रता होगी $\sqrt{\frac{ x }{5}} E$, यहाँ $x =....$ है।