एक कण जो कि मूल बिंदु से $1 \,m$ की दूरी पर है इस प्रकार चलना प्रारंभ करता है कि $d r / d \theta=r$, जहाँ $(r, \theta)$ ध्रुवीय निर्देशांक हैं. तब परिणामी वेग तथा वेग के स्पशरेखीय भाग के बीच का कोण
$30^{\circ}$ है.
$45^{\circ}$ है.
$60^{\circ}$ है.
कण की स्थिति पर निर्भर करता है.
एक वृत्ताकार पथ पर एकसमान चाल से गतिमान एक कण जारी रखता है :
$10 \mathrm{~m}$ त्रिज्या वाले वृत्ताकार पथ पर एक वस्तु नियत चाल से चल रही हैं। यह वस्तु $4$ सेकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है। $3$ सेकेण्ड के अन्त में वस्तु का इसकी प्रारम्भिक स्थिति से विस्थापन है :
दो रेसिंग कारें जिनके द्रव्यमान ${m_1}$ तथा ${m_2}$ हैं, क्रमश: ${r_1}$ तथा ${r_2}$ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर गतिशील है। उनकी चालें इस प्रकार हैं कि वे समान समय t में एक चक्कर पूर्ण करती हैं। इनकी कोणीय चालों का अनुपात होगा
एक शांकव (conical) दोलक, जिसकी लम्बाई $1\; m$ है और जो $Z-$अक्ष से $\theta=45^{\circ}$ के कोण पर हैं, $X Y$ समतल में एक गोलाकार पथ में चलता है। गोलाकार पथ की त्रिज्या $0.4\; m$ है और उसका केन्द्र बिन्दु $O$ के ठीक नीचे है। उस दोलक की गति गोलाकार पथ में होगी : $\left(g=10 \;ms ^{-2}\right)$
एक घड़ी में सैकण्ड की सुव की लम्बाई $1$ सेमी है। इसकी नोंक के वेग में परिवर्तन $15$ सैकण्ड में होगा